Thursday 29 November 2018

सेहत के लिए घातक कीटनाशक दवाएं

हमारे देश में जिस रफ्तार से कीटनाशक दवाओं का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, वह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है । फसल की उपज को कीड़ों की मार से बचाने के लिए खेतों में ऍंधा-धुंध जहर छिडकने का प्रचलन में किसान भाई एक दुसरे को पछाड़ने में लगे हुए है । यह जानकार आप भी अचम्भित हो जायेंगे की अगर कोई व्यक्ति पाँच वर्ष लगातार बैगन अथवा भिन्डी का सेवन अपने आहार में कर ले तो वो निश्चित तौर पर दमा का मरीज बन सकता है ।यहाँ तक की उसकी श्वास नलिका बंद हो सकती है ।

दरअसल बैगन को तोड़ने के बाद उनकी चमक को कायम रखने के लिए उन्हें फोलिडन नामक कीटनाशक के घोल में डुबाया जाता है, चुकी बैगन में घोल को चूसने की क्षमता यादा होती है, अत: फोलिडन घोल बैगन में चला जाता है । इसी प्रकार से भिन्डी में जब छेदक कीड़े लग जाते है, तो इसके ऊपर भी इसी घोल का छिडकाव बहुत अधिक मात्रा में की जाती है । चमकते हुए फल या सब्जियां हमें अपनी ओर यादा आकर्षित करती है परन्तु हमें सावधान रहना चाहिए जब बाजार में सब्जी या फल खरीदने जाए ।ध्यान रखें चमकता हुआ हरेक चीज अच्छा नहीं हो सकता ।तो हमें यादा चमक और हरी दिखने वाली सब्जी से बचना चाहिए । वैसे आज उगने वाले हर फसल पर कुछ न कुछ कीटनाशक दवाई का प्रयोग करते है । जैसे गेहूं को ही लेते है तो उसके ऊपर भी मैलाथिन नामक पाउडर का इस्तेमाल कीड़ों से बचने के लिए करते है और गेहूं खाने वालो को इस पाउडर के दुष्परिणाम भुगतने पड़ते है , चाहे उसकी मात्रा थोड़ी ही क्यूँ न हो, परन्तु लगातार उपयोग करने से आगे जाकर ना जाने क्या-क्या परेशानी हो सकती है ।
विश्व बैंक द्वारा किये गए अध्यन के अनुसार दुनिया में 25 लाख लोग प्रतिवर्ष कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के शिकार होते है, उसमे से 5 लाख लोग तक़रीबन काल के गाल में समा जाते है । चिंता का विषय यह भी है ,जहाँ एक तरफ दुनिया के कई देशो ने जिस कीटनाशक दवाई को प्रतिबन्ध कर दिया है , अपने यहाँ धडल्ले से उपयोग किया जा रहा है ।यहाँ तक की अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हमारे देश में कारखाने स्थापित कर बहार के देशों के प्रतिबंधित अनुपयोगी व बेकार रासायनों को यहाँ मंगा कर विषैले कीटनाशक उत्पादित कर रही है ।इनमे से कई कीटनाशकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बेहद जहरीला और नुकसानदेह बताया है जिनमे डेल्तिरन, ई. पी.एन., क्लोरेडेन, फास्वेल आदि प्रमुख है ।दिल्ली के कृषि विज्ञानं अनुसन्धान केंद्र के द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली के आसपास के ईलाकों में कीटनाशकों का असर 2 प्रतिशत अधिक है ।लुधियाना और उसके आसपास से लाये गए दूध के सभी नमूनों में डी.डी.टी. की उपस्थिति पाई गई है ।यहाँ तक की गुजरात जो देश की दुग्ध राजधानी के नाम से जाने जाते है, वहां से शहर के बाजारों में उपलब्ध मक्खन, घी और दूध के स्थानीय बरंदों के अलावा लोकप्रिय ब्रांडों में भी कीटनाशक के अंश पाए गए है । विश्व में हमारा देश डी.डी.टी. और बी.एच.सी. जैसे कीटनाशकों का सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि डी.डी.टी. कीटनाशक रसायन अनेक देशों में प्रतिबंधित है । हमारे यहाँ जमकर इसका प्रयोग किया जाता है । आज यह सवित हो चूका है की अगर हमारे खून में डी.डी.टी. की मात्रा अधिक होने पर कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है ।साथ ही हमारे गुर्दों, होठों,जीभ व यकृत को भी नुकसान पहुंचता है । बी.एच.सी. रसायन डी.डी.टी. से ढाई गुना यादा जहरीला होता है ।परन्तु हमारे देश में गेहूं व अन्य फसलों पर अधिक उपयोग किया जाता है जो की कैंसर और नपुंसकता जैसी तकलीफ के लिए जिम्मेदार होता है ।
आज जरुरत है कीटनाशकों के विकल्प साधनों की जो जैविक नियंत्रण विधि, सामाजिक व यांत्रिक तरीकों को अपनाएं । दुनिया के कई देशों में इनका व्यापक प्रयोग सफलता पूर्वक किया जा रहा है, जिससे कीटनाशकों की खपत एक तिहाई कम हो गई है और उत्पादन भी बढ़ गया है । अत: आनेवाली पीढ़ी व हमारे स्वास्थ्य के लिए धीरे-धीरे कीटनाशकों के प्रयोग को कम करना अति उतम होगा ।

जीवनोपयोगी प्रश्नोत्तरी


Surya-Namaskar-Total-Wellness-With-12-Sun-Salutations
  1. सुबह उठ कर कैसा पानी पीना चाहिए?
    उत्तर – हल्का गर्म।
  2. पानी पीने का क्या तरीका होता है?
    उत्तर – सिप सिप करके व नीचे बैठ कर।
  3. खाना कितनी बार चबाना चाहिए?
    उत्तर – 32 बार।
  4. पेट भर कर खाना कब खाना चाहिए?
    उत्तर – सुबह।
  5. सुबह का खाना कब तक खा लेना चाहिए?
    उत्तर – सूरज निकलने के ढाई घण्टे तक।
  6. सुबह खाने के साथ क्या पीना चाहिए?
    उत्तर – जूस।
  7. दोपहर को खाने के साथ क्या पीना चाहिए?
    उत्तर – लस्सी/छाछ।
  8. रात को खाने के साथ क्या पीना चाहिए?
    उत्तर – दूध।
  9. खट्टे फल किस समय नही खाने चाहिए?
    उत्तर – रात को।
  10. लस्सी खाने के साथ कब पीनि चाहिए?
    उत्तर – दोपहर को।
  11. खाने के साथ जूस कब लिया जा सकता है?
    उत्तर – सुबह।
  12. खाने के साथ दूध कब ले सकते है?
    उत्तर – रात को।
  13. आईसक्रीम कब कहानी चाहिए?
    उत्तर – कभी नही।
  14. फ्रीज़ से निकाली हुई चीज कितनी देर बाद कहानी चाहिए?
    उत्तर – 1 घण्टे बाद।
  15. क्या कोल्ड ड्रिंक पीना चाहिए?
    उत्तर – नही।
  16. बना हुआ खाना कितनी देर बाद तक खा लेना चाहिए?
    उत्तर – 40 मिनट।
  17. रात को कितना खाना खाना चाहिए?
    उत्तर – न के बराबर।
  18. रात का खाना किस समय कर लेना चाहिए?
    उत्तर – सूरज छिपने से पहले।
  19. पानी खाना खाने से कितने समय पहले पी सकते हैं?
    उत्तर  – 48 मिनट।
  20. क्या रात को लस्सी पी सकते हैं?
    उत्तर – नही।
  21. सुबह खाने के बाद क्या करना चाहिए?
    उत्तर – काम।
  22. दोपहर को खाना खाने के बाद क्या करना चाहिए?
    उत्तर – आराम।
  23. रात को खाना खाने के बाद क्या करना चाहिए?
    उत्तर – 500 कदम चलना चाहिए।
  24. खाना खाने के बाद हमेशा क्या करना चाहिए?
    उत्तर – वज्र  आसन।
  25. खाना खाने के बाद वज्रासन कितनी देर करना चाहिए?
    उत्तर – 5-10मिनट।
  26. सुबह उठ कर आखों मे क्या डालना चाहिए?
    उत्तर – मुंह की लार।
  27. रात को किस समय तक सो जाना चाहिए?
    उत्तर – 9-10बजे तक।
  28. तीन जहर के नाम बताओ?
    उत्तर – चीनी मैदा  सफेद नमक।
  29. दोपहर को सब्जी मे क्या डाल कर खाना चाहिए?
    उत्तर – अजवायन।
  30. क्या रात को सलाद खानी चाहिए?
    उत्तर – नहीं।
  31. खाना हमेशा कैसे खाना चाहिए?
    उत्तर – नीचे बैठकर व खूब चबाकर।
  32. क्या विदेशी समान खरीदना चाहिए?
    उत्तर – कभी नही।
  33. चाय कब पीनी चाहिए?
    उत्तर – कभी नहीं।
  34. दूध मे क्या डाल कर पीना चाहिए?
    उत्तर – हल्दी।
  35. दूध में हल्दी डालकर क्यों पीनी चाहिए?
    उत्तर – कैंसर ना हो इसलिए।
  36. कौन सी चिकित्सा पद्धति ठीक है?
    उत्तर – आयुर्वेद।
  37. सोने के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए?
    उत्तर – अक्टूबर से मार्च (सर्दियों मे)।
  38. ताम्बे के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए?
    उत्तर – जून से सितम्बर(वर्षा ऋतु)।
  39. मिट्टी के घड़े का पानी कब पीना चाहिए?
    उत्तर – मार्च से जून (गर्मियों में)।
  40. सुबह का पानी कितना पीना चाहिए?
    उत्तर – कम से कम 2-3गिलास।
  41. सुबह कब उठना चाहिए?
    उत्तर – सूरज निकलने से डेढ़ घण्टा पहले।
  42. 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
  43. कुल 13 अधारणीय वेग हैं।
  44. 160 रोग केवल मांसाहार से होते है।
  45. 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
  46. 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
  47. 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
  48. शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
  49. अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
  50. ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
  51. मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
  52. भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
  53. बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
  54. दूध(चाय) के साथ नमक(नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
  55. शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
  56. गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
  57. टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
  58. खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
  59. खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
  60. भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
  61. जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
  62. मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
  63. पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
  64. चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
  65. तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
  66. मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
  67. अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।
  68. हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
  69. भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
  70. अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
  71. मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
  72. जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
  73. नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
  74. चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।
  75. फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
  76. भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए। उसके पश्चात् उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।
  77. मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
  78. गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।
  79. 14 वर्श से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, बे्रड, समोसा आदि) कभी भी नहीं खिलाना चाहिए।
  80. खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेश्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
  81. जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
  82. सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
  83. पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
  84. खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
  85. चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है। हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।
  86. मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
  87. कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
  88. बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
  89. टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे। (आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
  90. यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है।
  91. निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
  92. देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
  93. प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और रात्रि का भिखारी के समान।

Monday 26 November 2018

नीबू एक नया खाद ओर एन्जाईम

 एक नया खाद ओर एन्जाईम
 नींबु शरबत का प्रयोग किया उसको बहेतर बनाने के लिए पहला बारीश जब गीरे तुंरत नींबु का मार्केट में भाव कम हो जाते हे तब हम किशान सस्तेमें थोकबंध नींबु खरीद कर उसका रस नीकाल लिजीए।

एक ड्रम में (200 लिटर) 40 लिटर नींबु रस ओर 
25 किलो देशी गुड बाकी पानी भरकर रखदो पुरे साल भर पांच एकड जमीन के लिए अपना टोनीक ओर दवा बन जायेगी।

बाद बचा छिलका उसको भी हम गार्बेज एन्जाईम बनाने का तरीका

 एक ड्रम में 50 किलो नींबु छिलका या किचन वेस्ट कोईभी ओर 25 किलो देशी गुड मीलादो ओर 24 घंटे में एकबार खुला करके हिलादो एसे पहले 15 दिन हररोज हिलाना बाकी दिनो में दो या तीन दिन में एकबार हिलाना 90 दिन में तैयार हो जायेगा

 कोईभी फसल में प्रयोग करे या जीवामृत बनाते वक्त जीवामृत में दस लिटर डालो जीवामृत में बहेतर रीजल्ट मीलेगा।

मात्रा नींबु शरबत एक पंप(15 लिटर)में 250 मीली
जमीनमें एकडमें दस लिटर वीस दिन के अंतराल में

Sunday 25 November 2018

बाहर का खाना बंद कर दे

 आज कल सभी माता पिता अपने बच्चो को ङोक्टर, इंजीनियरिंग, वकील, अफसर, टीचर  बनाने का सपना देखते है बहुत सारे लोगो का ये सपना भी पुरा होता है ।

 लेकिन बच्चो के माता पिता ये ध्यान नही रखते है । मेरे बच्चे आज जो भोजन कर रहे वो भोजन स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है । 

जैसे पिज्जा बर्गर होटङोग रिफाइंड तेल, विष मिला अनाज, पैकेट वाला दुध दही घी, दवाइ से पक्की हुइ सब्जिया, कोल्ड ड्रिंक  और बालो मे केमिकल युक्त शैम्पू, जेल, ङाइ । 

इन सब चीजो से हमारा स्वास्थ्य खराब होता है । और फिर बच्चे जब 25 शाल या 30 के होते ही उन्हे हार्ट अटैक आते है और मौत हो जाती है । पेट खराब हो जाता है । कैंसर हो जाता है । ब्लस प्रेशर,  शुगर जैसी बिमारीया हो जाती है । कम उम्र मे ही गंजे हो जाते है । और अगर परीक्षा मे फैल हो जाते है तो बच्चे आत्महत्या कर लेते है । और सबसे ज्यादा बिमारीया से मरते है । 

आज कल तो जब बच्चा गर्भ मे होता है तब भी उसे कैंसर हो जाता है । और जब जवान बेटे की मौत होती है तब माता पिता जिंदगी भर रोते है और भगवान को दोष देते है । आसु बाहते है । 

मुझे ये समझ नही आता है की फिर वे माता पिता क्यो रोते है । क्योकि गलती माता पिता करते हे । जब बच्चे छोटे छोटे होते है तब से ही उन्हे बाहर का खाना खिलाते है । और फिर कहते है हम बहुत इंटलीजेन्ट है । 

फिर बेचारे बच्चे क्या करे क्योंकि जन्म से ही पाउडर का दुध पिते है । और फिर जब बङे होते है तो बाहर का खाना खाते रहते है और एक दिन एसा आता है कि उनकी मौत हो जाती है । 

आज से 70 शाल पहले तो सब सौ साल के होते और सब तंदरुस्त व्  मजबुत होते थे । उन्हे कभी कोई बिमारी नही होती  । क्योकि वे लोग बाहर का खाना नही खाते थे ।

 अगर माता पिता अपने बच्चो से प्यार करते है और चाहते है की उनके बच्चे कभी बिमार नही पड़े और जवानी मे उनकी मौत न हो तो आज से ही बाहर का खाना खिलाना बंद कर दे ।

 जितना हो सके उतनी आयुर्वेद की दवाई ले क्योकि आयुर्वेद मे वो ताकत है जो मरे हुए इंसान को भी जिंदा कर देता है ।


 जब रामायण मे लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और वे अचेत हो गये तब आयुर्वेद की दवा से जिंदा हो गये थे । 
आज कल तो छोटी सी बिमारी होते है ङोक्टर के पास भागते है और फिर ङोक्टर गोली दवा दे देता है जिसे जिंदगी भर खाते रहते है । 

अगर हर आदमी अपने घर मे एक गाय पाल कर रख ले तो वह जिंदगी भर बिमार नही पङता । और जब गाय पालेगे तो गाय की हत्या भी नही होगी ।

 लेकिन आज कल के लोग घर मे गाय नही पालेगे । बल्कि घर मे टीवी, फ्रीज, कुलर, एसी, विदेशी कुत्ते यह सब घर मे रखने की जगह है लेकिन गाय रखने की जगह नही है । 

  आप कोइ भी सामान इस्तेमाल करे तो वह आप घर पर ही बनाए । जैसे साबुन, तेल, घी, दुध दही । चाहे कोइ भी समान हो या तो घर पर ही बनाइए  या फिर आप किसी गरीब से खरीद लो ताकी उस गरीब की भी मदद हो जाये । 


भारत में पैकेट बंद दूध: आओ हम सब मिलकर जहर पियें!!


मूल लेख: डॉ सुनील वर्मा
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क्या आप पैकेट का दूध पीते हैं?? क्या आपके मिल्क में भी आ जाती है मोटी मलाई की पर्त?
अगर हाँ, तो मुबारक हो भाइयों, जल्दी ही प्रभु से मिलन का रास्ता खुल रहा है आपके लिए....
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वर्ष 1830 | Germany के एक वैज्ञानिक ने एक अनोखे पदार्थ की खोज की जिसका नाम उन्होंने रखा मेलामाइन |
सीमेंट जैसा दिखने वाला सफ़ेद रंग का यह पाउडर बहुत चमत्कारी था | जैसे ही इसे वैज्ञानिकों ने formaldehyde के साथ मिलाया, और बहुत अधिक ताप पर गर्म किया तो यह पदार्थ एक moldable मटेरियल में बदल गया जो virtually unbreakable था |
इस पदार्थ को अपने हिसाब से सांचों में ढालकर विभिन्न उद्योगों जैसे प्लास्टिक उद्योग, खाना खाने के बर्तन, चाय के कप, और फ्लोर की चमकदार टाइल्स बनाने के लिए प्रयोग किया जाने लगा |
किन्तु किसी ने सच ही तो कहा है कि इंसान की डीड्स की पूर्ति के लिए तो प्रकृति, ईश्वर और वैज्ञानिकों ने मिल कर बहुत कुछ दिया पर ग्रीड्स को शांत करने के लिए तो जो भी दिया वही कम!!
दुष्ट बुद्धी इंसान ने धीरे धीरे पता चला लिया कि मेलामाइन में 67% नाइट्रोजन होती है |
यहाँ पर आपको बता दूँ कि किसी भी खाद्य में protein की मात्रा कितनी है इसका टेस्ट एक विशेष विधि "Kjeldahl Test" से किया जाता है जिसमें यह देखा जाता है कि उस पदार्थ में नाइट्रोजन की मात्रा कितनी है | अधिक नाइट्रोजन मतलब खाद्य पदार्थ में protein की मात्रा अधिक है |
बस, फिर क्या था मेलामाईन से फ्लोर की टाइल्स बनाते बनाते दुष्ट बुद्धी ने इसे non-protein सोर्स की तरह खाद्य पदार्थो में मिलाना शुरू कर दिया ताकि उसमे अधिक प्रोटीन होने का अहसास होने लगे |
पहले तो दुष्ट बुद्धि ने इसे गेहूं के आटे में मिलाया और उस आटे से गाय भैंसों और कुत्तो के लिए protein rich पैकेट बंद यमी फ़ूड बनाया | लैब में जब इस फेक हाई protein डाइट को टेस्ट किया जाता तो उसमें मेलामाईन की मिलावट के कारण खूब नाइट्रोजन मिलती | जिससे लगता कि वास्तव में भर भर के protein है भाई इसमें तो | मेलामाईन मिला खाना खा खा कर कितनी गायें मरी होंगी इसका डाटा तो दुनिया में किसी के पास नहीं किन्तु मेलामाईन मिला पशुओ का protein rich फीड अमेरिका में खूब पकड़ा गया और बाद में 2010 के दौर में इस पर बंद भी लगा |
अब भारत तो भारत है भाई, यहाँ तो कंकड़ हजम, पत्थर हजम, किसी पर कुछ फर्क ही नही पड़ता....!!
पशु पुरी दुनिया में कम से कम एक दशक तक मेलामाईन मिला खाना खाते रहे और यह जहर खाकर मरते रहे किन्तु वर्ष 2008 में हवस की खोपड़ी को नया आईडिया आया |
हवस की खोपड़ी ने सोचा कि पशु ही क्यों, इंसान के दुधमुहे बच्चो के पापा भी तो पेल कर protein rich यम्मी दूध का पाउडर अपने बच्चो के लिए खूब खरीदते है तो क्यूँ ना मेलामाईन को डायरेक्ट ड्राई मिल्क फार्मूला में मिलाया जाए | ताकि उसमें खूब protein पडी हुयी दिखाई दे |
बस, दुष्ट बुद्धि ने इसे इन्फेंट मिल्क पाउडर में मिला दिया | और खूब प्रचार किया कि यह दूध का पाउडर protein से भरपूर है |
लैब में जब इस पाउडर को टेस्ट किया गया तो उसमें खूब नाइट्रोजन मिली| लैब भी चकमा खा गयी और दूध बाजार में उतर गया | सबसे पहले यह दूध, मिलावट खोरो के सरदार चीन में उतारा गया किन्तु जब इस मेलामाईन मिले दूध को पी पी कर चीन के 3 लाख से अधिक बच्चे एक साथ बीमार पड गये तो सन 2008 में चीन सरकार ने इस मिलावट खोरी को पकड़ लिया |
इतिहास में इस घटना को “2008 Chinese milk scandal” की नाम से जाना जाता है आप लोग गूगल करके पढ़ सकते हैं|
दुसरे कई देशो में इस तरह का मिल्क बिकता हुआ मिला पर सभी जगह की सरकार ने इसे पकड़ लिया |
शैतान खोपड़ी को पता चल चुका था कि अब अमेरिका चीन जैसे देशो में उसकी दाल गलने वाली नहीं तो उसने तब भारत का रुख किया |
भारत में उसने आज तक कितने दुधमुहे बच्चो ने यह फेक protein युक्त दूध पिया किसी को नहीं पता क्योकि किसी ने आज तक इसका टेस्ट ही नहीं किया !!
कितने बच्चे इस दूध को पी पीकर बीमार होकर अस्पतालों में भरती हो रहे हैं, किसी को भी आज तक नहीं पता | किसी के पास कोई डाटा नहीं है|
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अब सुनिए इससे आगे की मजेदार बात:
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भारत की शैतान खोपड़ी के दिमाग में दुसरी ही बात चल रही थी | उसने सोचा कि क्यूँ न इस जादुई पदार्थ से पूरा का पूरा दूध ही बना दिया जाये!
तो उसने दूध लिया और उसमें पेल कर पानी मिलाया | पर पानी मिलाने से तो उसमें protein की मात्र कम हो गयी जिसे लैब में टेस्ट करके पकड़ लिया जाता !
शैतान खोपड़ी को पता था कि मेलामाईन को अगर इस पानी मिले दुध में मिला दिया जाये तो मेलामाईन से नाइट्रोजन निकलेगी जो लैब में किये जाने वाले protein टेस्ट को चकमा दे देगी और लगेगा कि दूध में उतनी ही protein है जितनी होनी चाहिए |
पर भाई वसा भी तो कम हो जायेगी !! इसका समाधान शैतान खोपड़ी ने सुवर गाय भैंस इत्यादि की चर्बी मिला कर कर दिया !!
तो लो जी हो गया सफ़ेद सफ़ेद protein rich दूध तैयार !! कोई माई का लाल बता नहीं पायेगा कि इसमें protein नहीं मेलामाईन नाम का जहर मिला हुआ है! वही जहर जिससे बनती है फर्श की टाइल्स!!
और दोस्तों.....हद तो तब हो गयी जब भारत की खाद्य नियत्रक संस्था FSSAI नें वर्ष 2016 में एक कानून बनाकर भारत में बिकने वाले दूध में मेलामाईन को लीगल कर दिया !!
आज सूखे दूध का इन्फेंट फार्मूला बनाने वाली कोई भी कंपनी अपने सूखे दूध में 1 mg / kg मेलामाईन मिला सकती है | Liquid infant formula जैसे कि लिक्विड दूध में यह परमिशन 0.15 mg/ लीटर और अन्य खाद्य पदार्थो में 2.5 mg/kg के हिसाब से मेलामाईन नाम का जहर मिलाने की खुली परमिशन है !!
क्या मजबूरी थी!! fssai नें दूध और इन्फेंट मिल्क पाउडर में इस जहर को मिलाने की परमिशन क्यूँ दी यह तो fssai ही जाने !!
इस परमिशन के ऊपर पैकेट में बिकने वाले दूध में कितना मेलामाईन वास्तव में डाला जा रहा है इसका डाटा शायद ही किसी के पास हो !
पर मैंने खुद देखा है आजकल पैकेट के दूध में बहुत मोटी मलाई की परत आती है! दोस्तों, यह मलाई नही फ्लोर की टाइल्स बनाने वाला सफ़ेद सफ़ेद मेलामाईन है........
मैंने सुबह fb पर एक छोटा notification डाला था कि आज शाम को मैं इस विषय पर पोस्ट लिखूंगा | इस notification को बहुत लोगो ने शेयर किया अभिनव गोस्वामी जी ने भी किया | वह पर एक भाई Rahul Suroliya जी ने एक कमेंट किया जिसे मै ज्यों का त्यों यहाँ मेंशन कर रहा हूँ....उन्होंने लिखा
"हा जी मुझे भी पता चला करीब दो दिन पहले मैं रीको एरिया बहरोड़ मे गया हुआ था तो मैने देखा के कुछ लोग मोटरबाइक पर तो कुछ गाड़ी भर के कुछ कटे सफेद रंग के बिना प्रिंट किया हुआ ले जा रहे थे मुझे लगा कि पूछा जाए कि ये क्या वस्तु है मुझे पहले टी लगा कि कोई व्हाईट सीमेंट बनाने वाली कंपनी होगी पर जब मुझे पता चला के ये दूध बनाने का जुगाड़ है मैं हैरान रह गया बताने वाले ने बताया के आप इस दूध से दही, पनीर,खोया, बना सकते हो और कोई पहचान भी नही पायेगा"
तो मेरे भाई Rahul Suroliya वो सफ़ेद सफ़ेद रंग का वाइट सीमेंट जैसा पदार्थ और कुछ नहीं, दूध बनाने का जादुई जुगाड़ मेलामाइन ही था.....!!
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तो मित्रो, आइये हम सब मिलकर इस दूध और सूखे दूध के पाउडर में मिला यह लीगल जहर मेलामाइन पीये और पीते रहे, और इसकी मोटी मलाई खाते रहें.....
मेडिकल साइंस में यह prove हो चुका है कि मेलामाईन एक बहुत ही खतरनाक किस्म का जहर है| इसकी माइक्रोग्राम मात्रा भी किडनी की कोशिकाओं को डैमेज कर नष्ट कर देती हैं!
इससे किडनी फ़ैल हो जाते हैं और तमाम तरह की अन्य बीमारिया लग जाती हैं! मेलामाईट के कण गुर्दों में जमा हो जाते हैं और पथरी बनाते है सफ़ेद सफ़ेद टाइल्स के फर्श जैसी पथरी ! इसके संपर्क में आपने वाली कोशिकाए ROS नामक केमिकल बनाती है जो खतरनाक कैंसर पैदा करता है | इसके ऊपर वर्ष 2015 से लेकर अब तक सैकड़ो रिसर्च पेपर्स आ चुके हैं ! डाक्टर वैज्ञानिक लोग चाहे तो गूगल सर्च कर सकते हैं | आपके हमारे दुधमुहे बच्चो के ऊपर यह लीगल जहर खाकर क्या असर पड रहा होगा आप सोच सकते हैं |
किन्तु मेरा भारत महान....हम सब तो मेलामाईन से बना protein rich दूध पी पीकर भी मोटे ताजे हुए जा रहे हैं और हमारे बच्चे भी यम्मी पाउडर वाला दुध पीकर ओलम्पिक मैडल लाने लगे हैं!
तो डर फिर किस बात का....FSSAI नें भी अब्दुलों, अम्बानियों को परमिशन दे ही दी है इस जहर को दूध, दूध पाउडर और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाने की ...तो दोस्तों आओ हम सब मिल कर मेलामाईन का सफ़ेद सफ़ेद उजला लीगल जहर मिल कर खाए और भारत में कानून बनाने वाली सरकारों को वोट देकर विजयी बनाये......
जय हिन्द तो बोल दो....
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Saturday 10 November 2018

ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है


ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है

क्या आप जानते हैं, कि हल्दी वाले दूध के एक नहीं अनेक फायदे हैं? नहीं जानते तो हम बता रहे हैं-
हल्दी अपने एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुणों के लिए जानी जाती है, और दूध, कैल्शि‍यम का स्त्रोत होने के साथ ही शरीर और दिमाग के लिए अमृत के समान हैं। लेकिन जब दोनों के गुणों को मिला दिया जाए, तो यह मेल आपके लिए और भी बेहतर साबित होता है, जानते हैं कैसे -

1 जब चोट लग जाए - यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए, तो हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद लाभदायक है। क्योंकि यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता।

2 शारीरिक दर्द - शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है। हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।

3 त्वचा हो साफ और खूबसूरत - दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है, और दूध के साथ हल्दी का सेवन, एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरियल होने के कारण त्वचा की समस्याओं जैसे - इंफेक्शन, खुजली, मुंहासे आदि के बैक्टीरिया को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे आपकी त्वचा साफ और स्वस्थ और चमकदार दिखाई देती है।

4 सर्दी होने पर - सर्दी, जुकाम या कफ होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। इससे सर्दी, जुकाम तो ठीक होता ही है, साथ ही गर्म दूध के सेवन से फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी निकल जाता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

5 हड्डियां बने मजबूत - दूध में कैल्श‍ियम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और हल्दी के गुणों के कारण रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे हड्डी संबंधि‍त अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है और ऑस्टियोपोरोसिस में कमी आती है।

6 जब नींद न आए - यदि आपको किसी भी कारण से नींद नहीं आ रही है, तो आपके लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है, हल्दी वाला दूध। बस रात को भोजन के बाद सोने के आधे घंटे पहले हल्दी वाला दूध पीएं, और देखि‍ए कमाल।

7 पाचन तंत्र हो गड़बड़ - हल्दी वाले दूध का सेवन, आपकी आंतो को स्वस्थ रखकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पेट के अल्सर, डायरिया, अपच, कोलाइटिस एवं बवासीर जैसी समस्याओं में भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है।

8 जोड़ों के लिए असरकारी - हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन, गठिया- बाय, जकड़न को दूर करता है, साथ ही जोड़ों मांसपेशियों को लचीला बनाता है।

9 ब्लड शुगर कम करे - खून में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाने पर हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।लेकिन अत्यधि‍क सेवन शुगर को अत्यधि‍क कम कर सकता है, इस बात का ध्यान रखें।

10 सांस की तकलीफ - हल्दी वाले दूध में मौजूद एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुण, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, फेफड़ों में जकड़न व कफ से राहत देने में सहायता करते हैं। गर्म दूध के सेवन से शरीर में गर्मी का संचार होता है जिससे सांस की तकलीफ में आराम मिलता है।

11 वायरल संक्रमण - में आए बदलाव एवं अन्य कारणों से होने वाले वायरल संक्रमण में हल्दी वाला दूध सबसे बेहतर उपाय है, जो आपको संक्रमण से बचाता है।:

 इन लोगों को सुबह उठकर खाली पेट पीना चाहिए हल्दी का पानीहल्दी का पानी पीने के फायदे हमारे बड़े-बुजुर्ग या डॉक्टर हमेशा एक सलाह देते हैं कि हमें सुबह उठते ही खाली पेट गुनगुना पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से पेट आसानी से साफ हो जाता है और जिन लोगों को एसिडिटी की प्रॉब्लम है उन्हें भी राहत मिलती है।

लेकिन अहम आपको आज यह सलाह देंगे कि इस गुनगुने पानी में आप एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीयें, जानते हैं क्यों?

हल्दी के फायदे यह तो सभी जानते हैं कि हल्दी को एंटी सेप्टिक कहा जाता है। यह हमें विभिन्न संक्रमणों से लड़ने की ताकत प्रदान करती है। चाहे अंदरूनी घाव हो या शरीर के बाहर के घाव, यह उन्हें भरने का काम करती है। इसलिए भारतीय परिवारों में हल्दी को अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

सुबह पीएं हल्दी का पानी किंतु आज हम आपको गुणों की खान हल्दी के कुछ ऐसे फायदे बताने जा रहे हैं जो हमें सुबह-सुबह हासिल हो सकते हैं। इसके लिए केवल गुनगुना पानी और एक चम्मच हल्दी उसमें मिलानी है और उसे सुबह खाली पेट ही पीना है। लेकिन इससे क्या लाभ होगा, आइए जानते हैं...

जलन कम करे सुबह उठने के बाद यदि आप हल्दी वाला गुनगुना पानी पीयेंगे तो इससे पेट और छाती की जलन कम हो जाती है। हम में से ऐसे कई लोग हैं जिन्हें रात को अधिक खाना खाने के बाद सुबह उठते ही जलन महसूस होने लगती है और फिर यह जलन पूरा दिन परेशान करती है। ऐसे में हल्दी वाला पानी राहत देता है।

हल्दी पानी के फायदे जिन लोगों को हमेशा ही जलन या एसिडिटी जैसी तकलीफ रहती है उन्हें रोजाना यह पानी अवश्य पीना चाहिए। एक हफ्ते में ही असर दिखने लगेगा।

मानसिक बीमारियों का इलाज एक शोध के अनुसार हल्दी के मौजूद कर्कमिनतत्व हमारे दिमाग के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है। दरअसल मानसिक बीमारियों को बचाने के लिए जिस ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर की आवश्यक्ता होती है, वह हल्दी के कर्कमिन तत्व से ही मिलता है। और यदि यह सुबह लिया जाए, जिस समय दिमाग फ्रेश होता है, तो अधिक काम करता है।

कैंसर से बचाए हल्दी का पानी एंटी-ऑसीडेंट होता है यानि कि प्रतिउपचायक होता है। यह पानी शरीर में उन तत्वों को पैदा नहीं होने देता जो कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करते हैं।

हृदय और पेट के लिए है अच्छा सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने से हमारी पाचन शक्ति मजबूत बनती है। पेट साफ होता है और पूरे दिन अच्छी भूख लगती है। इसके अलावा यह हल्दी शरीर के एक्स्ट्रा फैट और कॉलेस्ट्राल को काटकर दिल को भी दुरुस्त बनाए रखने का काम करती है।

जिन्हें हो गठिया रोग हल्दी का पानी उन लोगों के लिए बेहद रामबाण इलाज सिद्ध होता है जिन्हें गठिया रोग हो। वर्ष 2012 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए एक शोध के अनुसार हल्दी जोड़ों के दर्द में राहत दिलाती, खासतौर से तब जब इसका तरल पदार्थ के रूप में सेवन किया जाए।

मधुमेह का करे इलाज वर्ष 2009 में हुए एक शोध की मानें तो हल्दी का सेवन मधुमेह को कंट्रोल करने का काम करता है। यह मधुमेह के बढ़ते स्तर को काबू में रखता है। इसके अलावा गुर्दे के लिए भी लाभकारी है हल्दी का पानी।








हल्दी के फायदे और 42 औषधीय गुण

हल्दी जिसको Turmeric (Curcuma Longa) कहा जाता है यह पीसकर सब्जियों में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी अपने गुणकारी रासायनिक तत्वों के कारण औषधि के समान लाभदायक होती है। हल्दी में खून साफ़ करने और सूजन को ठीक करने के मजबूत गुणकारी तत्व होते हैं।

अधिकांश परिवारों में सूखी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे कच्ची हल्दी भी बहुत गुणकारी होती है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक, शोथनाशक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है। हल्दी की तासीर गर्म होती हैं |

हल्दी के सेवन से पेट में छिपे जीवाणु नष्ट होते हैं। हल्दी Penicillin तथा Streptomycin की तरह ही कीटाणुनाशक है। वात, पित्त, कफ के विकारों में हल्दी से फायदा होता है।

हल्दी की उत्पति जमीन के भीतर जड़ के रूप में होती है जमीन के उपर सिर्फ हरा पौधा दिखाई देता हैं | हल्दी का पौधा 2 फीट तक ऊँचे होते हैं | इन पौधों से धीमी धीमी सुगंध निकलती रहती है।

इसके पत्ते केले के पत्तो की तरह काफी चौड़े होते हैं। हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल 5.8% होता है।

 तेल में करक्यूमिन नामक टरपेन्ट (Terpent) होता है जो रक्त की धमनियों में एकत्र Cholesterol को घोलने की क्षमता रखता है। इसके अतिरिक्त हल्दी में Vitamin ‘A’, Protein 6.3%, Carbohydrate 69.4% और खनिज तत्व 3.5% मात्रा में होते हैं। हल्दी में जीवाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है।

कच्ची हल्दी को पानी में उबालकर, उसकी महक खत्म करके सुखाकर हल्दी तैयार की जाती है। हल्दी में वातनाशक गुणकारी तत्व होते हैं।

हल्दी के सेवन से फोड़े-फुसियां व खाज-खुजली के विकार भी नष्ट होते हैं। हल्दी के रस के सेवन से पेट की पाचन सम्बंधी क्षमता विकसित होती है। इनमे से आप चाहे जो भी नुस्खा आजमायें पर याद रखें,

हल्दी ताजी पिसी या साबुत होनी चाहिए बाजार में मिलने वाला हल्दी पाउडर प्रयोग ना करें क्योंकि एक तो लंबे समय तक पड़े रहने की वजह से हल्दी की शक्ति आधी रह जाती है, और दूसरे ज्यादातर रेडिमेड हल्दी पाउडर में रंग की मिलावट होती है |

हल्दी के फायदे और चमत्कारिक औषधीय गुण :
हल्दी के फायदे और औषधीय गुण हल्दी के फायदे और औषधीय गुण

1 चम्मच हल्दी के पाउडर को प्रतिदिन 1 गिलास गुनगुने दूध के साथ पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक- क्षमता बढती है।
सर्दी, जुकाम आदि नहीं होते।
शरीर के दर्द, चोट व पीड़ा में भी फायदा होता है।
मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर कुल्ला करने से आराम मिलता हैं |

हल्दी, नमक में थोड़ा सा सरसों के तेल को मिलाकर अंगुली से प्रतिदिन मसूड़ों की मालिश करना पायरिया, मुंह की बदबू व दांतों के रोग में अत्यन्त लाभकारी है।

2 चम्मच हल्दी, आधा किलो बिना मलाई वाले दही में मिलाकर दिन में 3 बार खायें। पीलिया की बीमारी में लाभ होता हैं ।

1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी, 10 काली मिर्चों का पाउडर मिलाकर सुबह-शाम पियें। ठंड लगकर आने वाला Fever, गला बैठना आदि बीमारी ठीक हो जाएगी।

फ़ूड पोइजनिंग से उलटी-दस्त होने पर, 1 चम्मच हल्दी, 1 कप पानी में घोलकर, रोजाना 2 बार पीने से पेट के रोग ठीक हो जाते हैं।

पुराने दस्तों में 1 चम्मच हल्दी, 1 कप छाछ में घोलकर रोजाना 2 बार कुछ सप्ताह पीने से फायदा होता है।

हल्दी और शहद मिलाकर खाने से फायदे : आधी चम्मच हल्दी को थोड़ा भूनकर शहद से लेने से गला बैठना या खांसी में तुरन्त लाभ होता है।

 हल्दी और मिसरी को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करने से ठंड से होने वाले छोटे-मोटे रोग ठीक हो जाते हैं |

हल्दी का चूर्ण, आंवले का रस 10 ग्राम और शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से खांसी ठीक होती है।

दूध हल्दी और शहद हल्दी और शहद से लाभ उठाने के लिए एक चम्मच पिसी हुई कच्ची हल्दी, एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीने से शरीर में कहीं भी दर्द हो, कमर दर्द, सिरदर्द हो, ठीक हो जाता है। दूध में चीनी नहीं डालें। फीका या शहद मिलाकर दूध पियें।

यदि कहीं कट या जल जाए तो हल्दी के पाउडर को लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है। त्वचा जलने पर फफोला भी नहीं पड़ता है।

सोने से पहले हल्दी दूध लाभ : एक चम्मच हल्दी को एक गिलास गर्म दूध के साथ पीने से हड्डियाँ मजबूत रहती है और अस्थमा भी कंट्रोल में रहता हैं |

सोने से पहले हल्दी दूध पीने से जोड़ो में दर्द से छुटकारा मिलता है जोड़ो की सूजन और मांसपेशियों की ऐंठन भी कम हो जाती हैं |

शरीर में कहीं मोच आ जाए तो एक मोटी रोटी बनाकर, उस पर सरसों का तेल व हल्दी डालकर, गर्म रोटी को मोच वाले स्थान पर बाँधने से सूजन व मोच में तुरन्त फायदा होता है।

कच्ची हल्दी के रस का सेवन करने से आंत्रकृमि (पेट के कीड़े) जल्दी नष्ट होते हैं।

हल्दी के चूर्ण को पानी में मिलाकर फोड़े-फुसियां और जख्म धोने से बहुत लाभ होता है | यह एक हर्बल antiseptic होता हैं |

हल्दी के रस का प्रतिदिन सेवन करने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है।

हल्दी का चूर्ण 3 ग्राम और सेंधा नमक 2 ग्राम मात्रा में मिलाकर हल्के गर्म जल से लेने से पेट की गैस से मुक्ति मिलती हैं |

हल्दी के साथ काली मुनक्का, इन दोनों को मिलाकर लेने से भी गैस की समस्या, पेट में जलन, खट्टी डकारें, एसिडिटी से निजात मिलती हैं |

 Acidity होने के कारण, लक्षण तथा घरेलू उपचार
उबले हुए दूध के साथ 2-3 ग्राम हल्दी के चूर्ण सेवन करने से जुकाम ठीक होता है।

हल्दी और दूध का संयोग कई बीमारियों के उपचार के काम आता हैं |

कच्ची हल्दी के रस में चुकंदर के पत्तों का रस मिलाकर सिर में लगाने से बाल सुंदर व् आकर्षक घने हो जाते हैं |
ग्वारपाठे (एलोवेरा) के गूदे के साथ हल्दी को पीसकर अर्श रोग (Piles) में मस्सों पर लेप करने से आराम मिलता हैं।

हल्दी और मेथी के दानों का चूर्ण सुबह पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में बहुत फायदा होता है।

ग्वारपाठे के गूदे के साथ हल्दी को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों की जलन, सूजन ठीक होती है।

गठिया होने पर हल्दी के लड्डू खाने से फायदा होता है।

एलोवेरा के नुस्खे : दाद, खुजली, घाव, फोड़े-फुंसियों और जली त्वचा के लिए आधी चम्मच हल्दी, एक चम्मच पिसा हुआ आंवला मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से खून साफ होता है।

हल्दी रक्त साफ करती है।

 हल्दी के सेवन सम्बंधी सुझाव- हल्दी का सेवन कम मात्रा में शुरू करते हुए धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें और लम्बे समय तक सेवन करते रहें।

1 या 2 चम्मच हल्दी से अधिक एक बार में सेवन नहीं करें।
हल्दी का सेवन पानी या दूध से करें।
बाह्य लेप और आन्तरिक सेवन दोनों प्रकार से प्रयोग करने पर शीघ्र लाभ होता है।
हृदय रोगी हल्दी का प्रयोग कम-से-कम करें।
गर्भवती महिला हल्दी को दूध या पानी के साथ बिलकुल सेवन ना करें |

दर्द में आमी हल्दी अधिक लाभ करती है। यदि यह उपलब्ध नहीं हो तो रसोई में मौजूद हल्दी का प्रयोग करें।
हल्दी दूध के फायदे बहुत है अगर आप इनको सही ढंग से नियमित रूप से प्रयोग करें तो |

खून की कमी दूर करने के लिए हल्दी के गुणों का बहुत महत्त्व है क्योंकि हल्दी में लौह तत्व होता है।

दो चम्मच कच्ची हल्दी के रस में दो चम्मच शहद, चौथाई कप पानी को मिलाकर रोजाना दो बार पियें।

आधा चम्मच हल्दी के पाउडर को गर्म दूध से दिन में दो बार पीने से जब तक प्लास्टर रहे, सेवन करते रहने से हड्डी जुड़ जाती है।

चोट-घाव को ठीक करने के लिए हल्दी के उपयोग : त्वचा पर कैसे भी निशान हो, काले-सफेद, फोड़े-फुंसी, चोट, दर्द, मोच आयी हो, चोट के कारण दर्द, सूजन रक्त जम गया हो, घाव हो, काँटा चुभ गया हो, किसी भी कारण से दर्द हो, जोड़ों का दर्द हो, इन सभी बीमारियों में हल्दी का नीचे बताये अनुसार उपयोग करें, आपको जरुर फायदा होगा |

 दो बड़े चम्मच हल्दी और एक बड़ा चम्मच देशी घी लेकर दोनों को गर्म करके किसी सूती कपड़े में रखकर गोल पोटली बना लें | इसके बाद इससे दर्द वाली जगह पर अच्छी तरह सिकाई करें, इसके पश्चात् पोटली खोलकर घी और हल्दी के पेस्ट को घाव वाली जगह पर फैलाकर उस पर रूई रखकर पट्टी बांध दे |

घाव भरने, दर्द, सूजन दूर करने का यह बेहतरीन उपाय हैं |
 चोट लगने पर थोड़ा-सा घी या सरसों का तेल, पिसी हुई हल्दी दो चम्मच, प्याज का रस दो चम्मच, गेहूँ का आटा दो चम्मच सबको हलुए की तरह पकाकर गर्मा-गर्म लेप करें।

12 हल्दी फेस पैक : चमकता चेहरा और बेदाग त्वचा के लिए आधा लीटर उबलते हुए पानी में आधा चम्मच सेंधा नमक, एक चम्मच हल्दी डालें, फिर हिलायें। बर्तन को उतारकर, ढककर रख दें। जब यह पानी सेंकने लायक हो जाये तो किसी कपड़े को भिगोकर चोट वाले अंग को सेंकने से दर्द में आराम मिलेगा।

दांत के लिए हल्दी के उपयोग : गैस पर हल्दी की गाँठें जलाकर इस जली हुई हल्दी को पीसकर उसमें समान मात्रा में पिसी हुई अजवायन मिला लें। इससे रोजाना मंजन करें। हिलते दाँत मजबूत हो जायेंगे।

दाँत-दर्द ठीक करने के लिए दो चम्मच हल्दी के पाउडर में दो चम्मच पिसी हुई सफेद फिटकरी, 100 ग्राम बहुत बारीक पिसा हुआ नमक- ये सब मिलाकर रख लें। आधा चम्मच यह पाउडर और 10 बूंद सरसों का तेल मिलाकर रोजाना मंजन करें। दाँतों में पानी लगना, हिलना, दर्द दूर होगा। इससे दाँत साफ होकर चमकने लगेंगे।

दांतों का पीलापन दूर करने के बेहतरीन घरेलू उपाय सरसों के तेल में हल्दी और नमक मिलाकर मंजन करने से दाँत साफ हो जाते हैं, मसूढ़ों को सूजन व पीलापन दूर हो जाता है।

आँखों के लिए हल्दी के उपयोग : आँखों के दुखने पर पिसी हुई हल्दी में पानी डालकर सफेद पतला कपड़ा रंग लें। हल्दी के रंग में रंगे इस कपड़े को दुखती आँखों पर रखकर ऊपर से पट्टी बाँधे।

आँख आने पर घरेलू उपचार, कारण, लक्षण आधा चम्मच हल्दी में 5 बूंदें घी की डालकर गर्म करके पलकों पर लगायें। इससे आँखों का दर्द कम हो जाता है।

1 चम्मच हल्दी 1 गिलास पानी में घोलकर, उबालकर, छानकर रोजाना 2 बार आँखे धोयें। आंखें बन्द रखें जिससे हल्दी का पानी अन्दर नहीं जाए और सिकाई भी हो जाए। इससे आँखों की लाली, सूजन, आँखों से पानी गिरना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
आँखों में लाली और टीस जैसा दर्द हो, पीव आती हो तो एक चम्मच हल्दी पिसी हुई, आधा लीटर पानी में इतना उबालें कि चौथाई पानी रह जाए। फिर उसे बारीक कपड़े में छानकर सुबह-शाम आंख में डालने से लाभ होता है। यह हर तीसरे दिन ताजा बनाकर काम में लें। आँखों में लाली, शोथ, पानी बहने की बीमारी में लाभ होता है।

आंखों की आम समस्याओं के लिए कुछ आसान उपाय आंख की पलको पर फुंसी हो जाने पर चुटकी भर हल्दी में दो बूंद घी मिलाकर लगाने से फायदा होता है।

कैंसर को रोकने में भी उपयोगी है हल्दी हल्दी के औषधीय गुणों का उपयोग केवल छोटे-मोटे रोगों को ही ठीक करने में ही नही है, बल्कि हल्दी कैंसर जैसे जानलेवा रोग को दूर रखने में भी उपयोगी है क्योंकि इसमें एक विशेष प्रकार का अल्कलायड कर्कुमिन तत्व पाया जाता है जो कैंसर विरोधी है।

हल्दी के लगातार सेवन से शरीर में म्यूटाजेन का निर्माण नहीं होता। म्यूटाजेन शरीर की कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुँचाता है। कैंसर से बचने के लिए आधा चम्मच हल्दी प्रतिदिन एक बार पानी या दूध से सेवन करें।


गौ मूत्र फिनायल बनाने की विधि (केमिकल रहित)

             *सामग्री* गौ मूत्र      *एक लीटर* नीम पत्र    *200 ग्राम सूखा* पाइन आयल इमल्सीफायर युक्त     *50 ग्राम* उबाला हुआ पा...