आज
जो 98% गौशालाएं चंदे से चल रही हैं , उनकी हालात बदतर हो चुकी है । सिर्फ 2% वो गौशालाएं ठीक ठाक चल रही हैं जिनके अपने संसाधन हैं ।
आज
दुकानों पर रखे गए गुल्लकों को हीन भावना से देखा जाने लगा है । न उस गुल्लक में
दुकानदार की श्रद्धा है न ग्राहक की । बस मजबूरी है ।
और
एक बात सुनकर आप हैरान हो जाएंगे कि कई गौशालाओं मे चंदा इकट्ठा करने वालों को 50% तक
कमीशन दिया जाता है ।
मैं
किसी पर आरोप नही लगा रहा , पर
एक बात बता रहा हूँ यहीं हाल रहा तो आने वाले दो साल के बाद गौशालाओं को चंदा
मिलना बंद हो जाएगा ।
गौशालाओं
में बीमार गायों की संख्या बढती जा रही है क्योंकि उनके खाने पीने और इलाज की
व्यवस्था आर्थिक तंगी के चलते सही नही हैं ।
बड़े
दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इस देश की गौशालाओं में हजारों गौमाता रोज मर रही
हैं ।
आप
चंदा प्रथा के कितने भी पक्षधर हो पर मैं दावे के साथ कहता हूँ कि चंदे से गौमाता
नही बचेगी , इसके
लिए आपको पंचगव्य उत्पाद के क्षेत्र में आना ही होगा ।
आज आ
जाओगे तो समय अनुकूल है देर करोगे तो फिर देर ही हो जाएगी
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