*★भयानक
परिस्थितियों से मुक्ति प्राप्ति के लिए
माँ दुर्गा के 32 नाम ★*
*★"अथ
दुर्गाद्वात्रिंशद् नाममाला★*
*दुर्गा दुर्गातिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी ।
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ।। 1।।*
(1) दुर्गायै नमः
(2) दुर्गातिशमन्यै नमः
(3) दुर्गापद् विनिवारिण्यै नमः
(4) दुर्गमच्छेदिन्यै नमः
(5) दुर्गसाधिन्यै नमः
(6)दुर्गनाशिन्यै नमः
*दुर्गतोद्धारिणी
दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा ।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ।।2।।*
(7) दुर्गतोद्धारिण्यै नमः
(8) दुर्गनिहन्त्रयै नमः
(9) दुर्गमापहै नमः
(10) दुर्गमज्ञानदायै नमः
(11) दुर्गदैत्यलोकदवानलायै नमः ।
*दुर्गमा दुर्गमालोका
दुर्गमात्मस्वरूपिणी ।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ।।3।।*
(12 दुर्गमायै नमः
(13) दुर्गमालोकायै नमः
(14) दुर्गमात्मस्वरूपिण्यै
नमः
(15) दुर्गमार्गप्रदायै नमः
(16) दुर्गमविद्यायै नमः
(17 ) दुर्गमाश्रितायै नमः
*दुर्गममज्ञानसंस्थाना
दुर्गमध्यानभासिनी ।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ।।4।।*
(18)दुर्गमज्ञानसंस्थानायै नमः
(19) दुर्गमध्यानभासिन्यै नमः
(20) दुर्गमोहायै नमः
(21) दुर्गमगायै नमः
(22) दुर्गमार्थस्वरूपिण्यै नमः
*दुर्गमासुरसंहन्त्री
दुर्गमायुधधारिणी ।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ।।5।।*
(23) दुर्गमासुरहन्त्र्यै नमः
(24)दुर्गमायुधधारिण्यै नमः
(25) दुर्गमाङ्ग्यै नमः
(26) दुर्गमतायै नमः
(27) दुर्गम्यायै
नमः
(28) दुर्गमेश्वर्यै नमः ।।
*दुर्गभीमा दुर्गभामा
दुर्गभा दुर्गदारिणी ।। 6 ।।*
(29) दुर्गभीमायै नमः
(30) दुर्गभामायै नमः
(31) दुर्गभायै नमः
(32) दुर्गदारिण्यै नमः
*नामावलिमिमां यस्तु
दुर्गाया मम मानवः ।
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।7।।*
भगवती दुर्गा ने
देवताओं से कहा कि हे देवताओ ! *जो भी स्त्री पुरुष मेरे बत्तीस नामों वाले स्तोत्र को
पढ़ेगा या इन नामों का जप करेंगे , वे सभी प्रकार के
भयों से मुक्त हो जाएंगे ।*
*★विशेष ★*
*यह 32 नामावली स्तोत्र दुर्गासप्तशती के अन्त में
दिया गया है ।* एक नाम से एकमाला पूर्ण
करे , इस प्रकार प्रत्येक नाम
की एक माला करते हुए *प्रतिदिन 32 माला करने से रुके हुए कठिन से कठिन कार्य 32
दिन में सिद्ध हो जाएंगे ।*
श्रद्धा और विश्वास के साथ माँ का पूजन करके
सरसों के तेल का दीपक जलाकर जप करें । अखण्ड दीपक जलाना आवश्यक नहीं है ।
सामर्थ्य हो तो
जलाएं । जब तक जप करें , तब तक तो दीपक जलना ही चाहिए । नवरात्रि में तो
व्रत करते हुए नौ दिन में ही कार्य की सिद्धि हो जाती है ।
स्वयं न कर सकें
तो किसी ऐसे योग्य ब्राह्मण से जप करवाएं जो गुटखा आदि व्यसन न करता हो , तथा अपने ब्राह्मण कर्म को करता हो । संस्कृत
भाषा को पढ़े हो ।
ब्राह्मण की
इच्छानुसार दक्षिणा देकर संतुष्ट करने पर ही कार्य सिद्धि होती है । कम दक्षिणा
देकर , पूजन में लोभ करनेवाले
मनुष्य को कोई भी फल नहीं मिलता है । *ऐसा मनुस्मृति
में लिखा हुआ है ।*
राधे राधे ।
*-आचार्य ब्रजपाल शुक्ल ,
वृन्दावनधाम*
No comments:
Post a Comment