Friday 22 March 2019

गाय को ही माता का दर्जा क्यूँ ?


गाय को हमारे सनातन वैदिक संस्कृति/हिन्दू धर्म में गौ को माता कहा गया है और इनका स्थान सबसे ऊपर है. गौ को वेद से लेकर श्री मद रामायण पुराण, गीता, श्री मद भागवतम और महाभारत, संहिंता लेकर सारे जगह महिमा मंडान किया गया है.
गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान कोई पुण्य नहीं है .
1. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस, बकरी और अन्य पशुओ की भाति न ही समझना, भारी भूल और अपराध है | गौ माता के शरीर में "३३ कोटि  देवी देवताओ" का वास हमारे धर्म ग्रन्थ में बताये गए है. गौमाता श्री राम और कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है.
2. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन- मन-धन से गौकी सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है.
3. प्रातः काल उठते ही श्री भगवत्स्मरण करने के पश्चात यदि सबसे पहले गौमाता के दर्शन करने को मिल जाये तो इसे अपना सौभाग्यमानना चाहिये.
4. यदि रास्ते में गौ आती हुई दिखे, तो उसे अपने दाहिने से जाने देना चाहिये.5. जो गौ माता को मारता है, और सताता है, या किसी भी प्रकार का कष्ट देता है, उसकी २१ पीढियाँ नर्क में जाती है.
हमारे वेद के अनुसार जो गौ की हत्या करता है उसे देखते ही मार देने चाहिए और गौ माता की रक्षा हर हाल में करने चाहिए. भगवान् श्री राम ने जब स्वयं गौ की सेवा करने गए तो उन्हें अयोध्या में उनके राजकर्मचारी ने रोक दिया. भगवान् ने हाला की बहुत बार ब्रह्मिनो को गौ दान किये, पर जब स्वान स्वयं नहीं कर सके तो उन्होंने प्रण लिया की वो स्वयं श्री कृष्ण रूप में द्वापर में आएंगे और गौ की सेवा करेंगे.
इसलिए, गौ कोई साधरण पशु मानना घोर पाप और अपराध है. गौ की सेवा और पूजा जब स्वयं भगवान् श्री राम और श्री कृष्ण ने किया तो आप स्वयं सोचे की वो गौ क्या पशु है? 
गौ को इसलिए माता कहा गया है और उनका दूध बुद्धि, बल, मस्तिक में सारे सात्विक गुणों को पुष्टि करता है. इनका दूध कोई दूध नहीं बलिक पूर्ण आहार माना गया है. गौ का दूध सात्विक गुणों से भरपूर होता है और तभी मिठाई और सात्विक आहार आदि गौ के दूध से ही बनाया जाता है. भगवान् श्री नारायण, श्री राम और श्री कृष्ण या श्री हनुमान जी को गौ के दूध से बने मिठाई ही भोग में लगते हैं. गौ का दूध अनेको प्रकार के बिमारी को दूर करता है और रोगी को हष्ट पुष्ट बनाता है.
घर में यदि गौ हो तो उनके सामने कभी पैर करके बैठना या सोना पाप माना गया है. गौ को कभी भूलकर भी मारना नहीं चाहिए. गौ माता को घर पर रखकर कभी भूखी प्यासी नहीं रखना चाहिये न ही गर्मी में धूप में बाँधना चाहिये ठण्ड में सर्दी में नहीं बाँधना चाहिये/ जो गाय को भूखी प्यासी रखता है उसका कभी श्रेय नहीं होता और समृद्धि समाप्त हो जाता है. गौ को ठंडा और गर्मी से बचाने के लिए यत्न करने चाहिए और इन्हे समय पर स्नानं आदि भी कराने चाहिए/
गौ की सेवा से सारे संकट और कष्ट मुसीबत, रोग बिमारी, और यदि पुत्र न हो तो वो भी प्रपात हो जाता है. गौ कभी बूढी हो जाए तो कभी भी कसाई को बेचने नहीं चाहिए, क्योंकि मुस्लिम तो इन्हे मार देते हैं और ऐसा नहीं है की वो भगवान् के दंड से बच जायेंगे? पर एक हिन्दू का धर्म नहीं की वो बूढी गाय को मुस्लिमो से बेचे? जो गौ की हत्या करता है, उसकी आने बाली २१ पीढ़िया गौ हत्या के पाप से भुक्तभोगी होती हैं? गौ को जुठे भी नहीं खिलाना चाहिए, क्योंकि, इनके शरीर में सारे देवी देवता के साथ स्वयं भगवान् निवास करते हैं.
गौ के गोबर, मूत्र, दूध, घी, दही सारे अमूल्य बस्तु हैं. गौ के गोबर से लीपा हुआ घर में रोग बीमारी का प्रवेश कभी नहीं होता? आजकल लोग बड़े एडवांस और अंग्रेजी पढ़ने और बोलने बाले, भगवान् को नहीं मानते और न गौ- गंगा और गायत्री को मानते हैं? पहले गाँव में गोबर से घर लीपा जाता था और इसे पवित्र माना जाता है. गौ के मूत्र को सही ढंग से पिया जाए तो कैंसर और एच आई वि रोगी को जैसे खतरनाक से मुक्ति मिल जाती हैं.


लोगो को कुत्ता से अच्छा गौ पालने चाहिए और गौ, बकरा, हांथी, बैल और भैस को छूकर ही आप पाप के भागी नहीं बनते, अन्यथा कुत्ता को छूना और स्नान नहीं करना, घोर पाप माना गया है. ऐसे व्यक्ति पूजा पाठ और धर्म के काम नहीं कर सकते? पर आज तो लोग कार में कुत्ते को लेकर घूमते हैं और मैंने तो कुत्ते को बिछाबन पर सुलाते कुछ लोगो को देखा/
इसलिए, हिन्दू धर्म में गौमाता की महिमा अपरंपार है। मैं चहु तो अनेको संस्कृत लाइन कोट कर सकता हूँ, पर जानबूझकर नहीं किया/ हर व्यक्ति को चाहिए की वो गौ पालन करें और गौ माता की सेवा का संकल्प लें. मैं हर रविबार को गौ शाला जाता हूँ/ पहले तो मेरे घर में ही गाय और भैंस दो काम से काम रहते थे और उनका सेवा करना हर व्यक्ति का धर्म है, ऐसा मुझे मेरे घर में बताया गया था/
कोई व्यक्ति यदि धार्मिक है या भगवान् का भक्त है और गौ की सेवा न करें तो फिर उसपर भगवान् ध्यान कम देते हैं. इसलिए, कई पुराणों में तो गौ को मोक्ष का साधन बताया गया है. ।
गाय की महिमा को शब्दों में नहीं वर्णन किया जा सकता। अगर इस देश के अधिकांश हिन्दू गौ को जान लें और उन्हें सेवा करें तो यह देश स्वर्ग हो जाए और यह फिर सेक्युलर नहीं धर्म प्रधान हिन्दू राष्ट्र हो जायेगा और यही होने की जरुरत है, अन्यथा आप पुलाबमा और पठाकोट और मुंबई हमला देख ही रहे हैं? गौ मूत्र से बनाने बाली दबा को रामबाण कहा जाता है.
रोज व्यक्ति यदि पचगव्य का सेवन करे तो वो यदि जहर गलती से पि ले तो उस पर जहर का अशर बेकार हो जायेगा- यह माना हुआ बात है. यह मेरे घर पर ही हो चूका है. 
यदि आप धन, चाहते हैं या अपना भाग्य बदललना चाहते है या फिर गृह- नश्चात्र आपके ख़राब चल रहे हैं तो बस आप भगवान् के शरण होइए और गौ माता की सेवा करना प्रारम्भ कर दें और फिर अपने जीवन में कुछ ही महीने में चमत्कार देखे/
गौ माता साक्षात्  देवी माँ हैं और उनको छोड़कर हिन्दू कई मंदिर में और अपने मन से धर्म की परिभाषा बनाने लगे हैं. जिसका फल नहीं है. गौ को कोई एक ग्रास घास नहीं देता, यह अपने आप में घोर अपराध और पाप है. इसी के परिणाम स्वरूप आज भारत सेक्युलर यानी धर्महीन देश बन गया है.
इसलिए, गौ एक पशु नहीं माँ हैं और इनके दूध से बढ़िया उपयोगी किसी भी पशु चाहे भैंस का भी दूध फलदाई  नहीं है. 

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