ऐसे समय में जब गाय राजनैतिक मुद्दा बन गया है, केंद्र सरकार ने 25 वर्षों से आवारा गायों की देखभाल कर रही एक जर्मन नागरिक को पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है....
#फ्रेडरिक_एरिना_ब्रूनिंग नाम की महिला 25 साल पहले यूपी के मथुरा घूमने आई थीं, यहां वह आवारा गायों की बदहाली देखकर वह परेशान हो गई थीं...उन्होंने तय किया कि वह आजीवन यहीं रहकर इन जानवरों की देखभाल करेंगी। गणतंत्र दिवस के मौके पर सरकार ने पद्मश्री अवॉर्ड की लिस्ट में उनका नाम भी शामिल किया है...
लोगों की चकाचौंध से दूर एक सुनसान और मलिन इलाके में फ्रेडरिक एरिना ब्रूनिंग 1800 से ज्यादा गायों और बछड़ों को एक गोशाले में पाल रही हैं... वह बताती हैं कि गोशाले के अधिकतर जानवरों को उनके मालिक ने छोड़ने के बाद फिर से अपना लिया था और उन्हें अपने साथ ले गए... ब्रूनिंग को स्थानीय लोग सुदेवी माताजी कहकर बुलाते हैं।
हर महीने आता है 35 लाख रुपये का खर्च
61 वर्ष की ब्रूनिंग सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हैं जिसने उनके काम को पहचाना और सम्मानित करने का फैसला किया... वह उम्मीद करती हैं कि लोग उनसे प्रभावित होंगे और जानवरों के प्रति दयालु बनेंगे
61 वर्ष की ब्रूनिंग सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हैं जिसने उनके काम को पहचाना और सम्मानित करने का फैसला किया... वह उम्मीद करती हैं कि लोग उनसे प्रभावित होंगे और जानवरों के प्रति दयालु बनेंगे
...वह बताती हैं, 'गोशाले में 60 कर्मचारी हैं और उनकी सैलरी के साथ जानवरों के लिए अनाज और दवाइयों में हर महीने 35 लाख रुपये का खर्च आता है... उनकी पैतृक संपत्ति से उन हर महीने 6 से 7 लाख रुपये मिलते हैं...।
भारत भूमि पर गौभक्ति का भाव अन्य देश की महिला द्वारा होना,,गौ की महत्ता को दर्शाती हैं, भारतीय समाज को संदेश देती हैं की गाय को पालिये,उसे बचाइए,उसकी सेवा कीजिये ।।
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