Saturday, 12 January 2019

रिफाइंड तेल बनता कैसे है?

बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है। इस विधि में जो भी अशुद्धियों तेल में आती है, उन्हें साफ करके वह तेल को स्वाद गंध व रंग रहित करने के लिये रिफाइंड किया जाता है ।

रिफाइंड = केमिक्ल प्रोसेस्ड।

वाशिंग :-
 वाशिंग के लिये पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किये जाते हैं, ताकि अशुद्धियों इस से बाहर हो जायें। 
इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज निकलता है, जो कि टायर बनाने में काम आता है। 
न्यूट्रलाइजेशन-
तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
ब्लीचिंग :-
इस विधि में पी.ओ. ब्लीचिंग /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है।
हाइड्रोजनीकरण :-
 एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। 

इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पॉलीमर्स बन जाते हैं, उस से पाचन प्रणाली को खतरा होता है, और भोजन न पचने से सारी बीमारियाँ होती हैं। 

निकेल एक प्रकार का उत्प्रेरक धातु (लोहा) होता है, जो हमारे शरीर के श्वसन प्रणाली, लिवर, त्वचा, चयापचय, डीएनए, आरएनए को भंयकर नुकसान पहुँचाता है। 

रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं, और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुँचाता है।

 गंदी नाली का पानी पी लें, उस से कुछ भी नहीं होगा, क्यों कि हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है।

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