Saturday 8 December 2018

अग्निहोत्र की विधि

गाय के गोबर में हवन सामग्री मिलाकर छोटे-छोटे उपले / कंडे बनाकर सूखने देना है। बिना हवन सामग्री के भी बनाये जा सकते हैं।

तब हमें अग्निहोत्र करते समय हवन सामग्री ऊपर से डालना पड़ेगा। बेहतर है कंडे बनाते समय ही उसे मिला दिया जाये।

जब सूख जाएँ, तो उनका उपयोग अग्निहोत्र पात्र में आम की सूखी पतली लकड़ी के साथ जलाना है।

कंडों के बीच कपास से बनी बाती जो देशी गाय के घी में डुबाई गयी हो, उससे अग्नि प्रज्वलित करनी है। कपूर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अग्निहोत्र में घी और चंद चावल के दाने डालना आवश्यक है

देशी गाय के घी के जलने से आसपास के वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। यही कारण है कि हमारे यहाँ घी के दिये जलाने को श्रेष्ठ माना गया है।

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि हमारे देश की गाय के गोबर से बने अग्निहोत्र कंडे, पिरामिड आकार के अग्निहोत्र पात्र विदेशों में निर्यात हो रहे हैं।

अगर शहरों में मिट्टी के अग्निहोत्र पात्र उपलब्ध न हों तो बर्तन की दुकान से तांबे के अग्निहोत्र पात्र खरीदे जा सकते हैं।

अग्निहोत्र सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करना सबसे उत्तम होता है।

जब तक अग्निहोत्र की आग और धुआं शांत न हो जाये तब तक आसान लगाकर उसके सामने बैठें। जिससे अग्निहोत्र का सेहत के लिये फायदेमंद धुंआ हमारी सांसों के माध्यम से अंदर जाये।

घर के खिड़की आदि खोलकर रखें जिससे वह धुआं आसपास भी फैले। कीटाणु, घर की गंदगी के अलावा बाहर से भी आते हैं। बाहर के वायुमंडल को भी शुद्ध करना आवश्यक है।

बची हुई राख उत्तम किस्म की खाद होती है। उसे अपने गमले, खेत आदि में डाल दें।

अखंड रामायण का पाठ, कथा, भागवत कथा आदि अनुष्ठान भी इसलिये कराये जाते हैं। शादी भी बिना हवन के नहीं होती। शादी की सालगिरह, जन्मदिन आदि पर पूजा पाठ और हवन भी इसलिये कराये जाते थे।

अब हम हानिकारक रसायनों से भरा केक काटकर ज़हर खाते हैं, मोमबत्ती को फूँक कर प्रदूषित धुआं अपने बच्चों के फेंफड़ों में प्रवेश कराते हैं।

हमारे सभी परम्पराओं में गहरा विज्ञान है। लेकिन हमारी आँखों पर आयातित कचरा संस्क्रति का काला चश्मा चढ़ा हुआ है।

सबसे पहले कचरा संस्क्रति के 🎂 Happy Birthday 🎂 मनाने के तरीके का अग्निहोत्र करें।

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