पंचगव्य औषधि निर्माण मे ध्यान देने योग्य बाते
गाय की नियमित जांच पशु वैद्य से करवानी चाहिए
गाय को क्रमिघ्न दवा हर 3 महीने मे देना चाहिए
एवम् आगे 5 दिन तक गाय का गोबर, गौमूत्र औषधि के लिए प्रयोग न करे (कृषि के लिए चलेगा)
गाय एवम् बछड़ो को रोग प्रतिरोधक टीका नियमित एवम् नियोजित मात्रा मे दे
रोग प्रतिरोधक टीका लगाने पर 3 दिन तक गाय का गौमूत्र, गोमय औषधि के लिए नही लेना चाहिए (कृषि के लिए चलेगा)
गाय एवम् बछड़ो को चुनी, चोकर, नमक, गुड़ नियमित एवम् निर्धारित मात्रा मे देना चाहिए
गुड़ की मात्रा 50 ग्राम हफ्ते मे दो बार गाय के लिए एवम् 25 ग्राम हफ्ते मे दो बार बछड़ो के लिए
ज्यादा से ज्यादा हरी घास गाय को उपलब्ध कराये
प्रदूषणमुक्त वातावरण मे गाय को रखना चाहिए
गौमूत्र इकट्ठा करने के लिए सुबह दूध निकलने से पहले एवम् रात को निर्धारित समय पर आदत लगानी चाहिए
गौमूत्र हमेशा साफ सूथरे चीनी मिट्टी या कांच के पात्र मे इकट्ठा करना चाहिए
गौमूत्र का भण्डारण धातु पात्र मे न करे
औषधि निर्माण के लिए ताजे गौमूत्र का ही इस्तेमाल करे
मिट्टी के सम्पर्क वाला गोमय इस्तेमाल न करे
गोदुग्ध हमेशा ताजा ही प्रयोग करे
गोदधि या तक्र का प्रयोग करना हो तो दही जमाकर 12 घण्टे के अंदर करे
पंचगव्य औषधि निर्माण मे इस तरह की सावधानिया रखने से बनाये हुए उत्पाद की गुणवत्ता श्रेष्ठतम रहेगी
ताजा पंचगव्य सेवन फायदेमंद है लेकिन किसी भी वक्त ताजा पंचगव्य उपलब्ध नही हो सकता ऐसे समय विविध रोगों के लिए पंचगव्य से बनी औषधि की उपलब्द्धि अपेक्षित है
प्रस्तुति-व्रजराज गौशाला एवम् पंचगव्य अनुसन्धान केंद्र, रीठी, कटनी, एम पी
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