पदार्थ की समाप्ति केवल ब्लैक होल में होती है,इसके पहले वह केवल टूटता है।
पार्टिकल केवल नैनो होता है।
और मैंने आपको अपने प्रशिक्षणो में विस्तार से बताया है कि पदार्थ जैसे जैसे नैनो होता है वह अधिक पॉवरफुल और परफेक्ट हो जाता है।
पदार्थ नैनो में कैसे आता है समझे
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पेड़ की लकड़ी टूटकर छोटा टुकड़ा होता है यह टुकड़ा टूटकर कणों में,कण अणुओं में,अणु परमाणुओं में,परमाणु टूटकर इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रान,न्यूट्रॉन में और ये टूटकर एनर्जी में कन्वर्ट होते है,
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लकड़ी के एक चने के बराबर टुकड़े में या पानी के एक बूंद में 20 tnt (टी एन टी) की ऊर्जा निकलती है और हिरोशिमा में जो एटम बम गिराया गया था वह 15 tnt(टी एन टी) की थी।

पेड़ की लकड़ी टूटकर छोटा टुकड़ा होता है यह टुकड़ा टूटकर कणों में,कण अणुओं में,अणु परमाणुओं में,परमाणु टूटकर इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रान,न्यूट्रॉन में और ये टूटकर एनर्जी में कन्वर्ट होते है,

लकड़ी के एक चने के बराबर टुकड़े में या पानी के एक बूंद में 20 tnt (टी एन टी) की ऊर्जा निकलती है और हिरोशिमा में जो एटम बम गिराया गया था वह 15 tnt(टी एन टी) की थी।
सोचिए पानी की एक बूंद में कितनी ऊर्जा होती है।
और ये ऊर्जा का हमे एहसास होता है क्या,
कत्तई नही।
क्यो
ये ऊर्जा पदार्थ में बंधी है,पदार्थ के अंदर है,
इसे निकालने के लिए हमे पदार्थ को तोड़ना पड़ेगा।
जैसे जैसे पदार्थ टूटेगा वैसे वैसे ऊर्जा निकलती है
और पूर्ण ऊर्जा 20tnt पदार्थ के पूर्ण टूटने से निकलती है।
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होमियोपैथी वाले पदार्थ को पानी के माध्यम से तोड़ते है।
10 ml आसुत जल(डिस्टिल्ड वाटर) में 1 ml नींबू रस को मिलाकर 100 बार हिलाते है।
नींबू का रस 1/100 हो जाता है,इसमे से फिर 1 ml निकालकर पुनः 100 ml आसुत जल में डालकर 100 बार हिलाते है,
रस 1/1000 हो जाता है,ऐसा करते करते रस 1/दस हजार,फिर 1/1 लाख,फिर 10 लाख फिर 1 करोङ और 1 अरब बार तोड़ा,
1 अरब आते ही पदार्थ नैनो पार्टिकल में हो जाता है।
कत्तई नही।
क्यो
ये ऊर्जा पदार्थ में बंधी है,पदार्थ के अंदर है,
इसे निकालने के लिए हमे पदार्थ को तोड़ना पड़ेगा।
जैसे जैसे पदार्थ टूटेगा वैसे वैसे ऊर्जा निकलती है
और पूर्ण ऊर्जा 20tnt पदार्थ के पूर्ण टूटने से निकलती है।

होमियोपैथी वाले पदार्थ को पानी के माध्यम से तोड़ते है।
10 ml आसुत जल(डिस्टिल्ड वाटर) में 1 ml नींबू रस को मिलाकर 100 बार हिलाते है।
नींबू का रस 1/100 हो जाता है,इसमे से फिर 1 ml निकालकर पुनः 100 ml आसुत जल में डालकर 100 बार हिलाते है,
रस 1/1000 हो जाता है,ऐसा करते करते रस 1/दस हजार,फिर 1/1 लाख,फिर 10 लाख फिर 1 करोङ और 1 अरब बार तोड़ा,
1 अरब आते ही पदार्थ नैनो पार्टिकल में हो जाता है।
होमियोपैथी वाले इसे जल में डालकर 9 बार में तोड़ते है,
मैंने इसे अग्नि में डालकर तोड़कर उपयोग करने का प्रयास किया है।
मैंने इसे अग्नि में डालकर तोड़कर उपयोग करने का प्रयास किया है।
यह परम्परा हमारे ऋषियोँ ने हजारो वर्ष पूर्व ही शुरू करवा दिया है।
आम बोलचाल में इसे हवन कहते है।
आम बोलचाल में इसे हवन कहते है।
मैंने इसे ही गन्ध चिकित्सा कहा है।
गन्ध चिकित्सा के अनुप्रयोग सबसे पहले मैंने अपने 17 से 20 अप्रेल 2017 भोपाल के अपने प्रशिक्षण में बताया था,तब से सभी प्रशिक्षणो में बता रहा हूँ, फसल उत्पादन,पशु स्वस्थ्य,दुग्ध उत्पादन, मानव स्वास्थ्य आदि में प्रत्यक्ष अनेक प्रयोग भी करवाये है।
उसमे 8 घण्टे में सर्दी ठीक करने का अपना प्रयोग सर्वकालिक सिद्ध हुआ है।
ऐसे ही
कुछ रोगों के सन्दर्भ में नीचे दिए उपायों को भी बता रहा हूँ
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उसमे 8 घण्टे में सर्दी ठीक करने का अपना प्रयोग सर्वकालिक सिद्ध हुआ है।
ऐसे ही
कुछ रोगों के सन्दर्भ में नीचे दिए उपायों को भी बता रहा हूँ

आप अग्निहोत्र पात्र जैसे आकार के पात्र में गाय के गोबर के कण्डे जलाएं,पहले चार बून्द गाय का घी निम्न चार मंत्र(वेब्स निर्माण की प्रक्रिया) पूर्ण करके निम्न बीमारियों में निम्न औषधीय का हवन करके अनुलोम विलोम करें।
चार मन्त्र है
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भू: स्वाहा,अग्नये इदं न मम
भूवःस्वाहा,वायवे इदं न मम
स्व: स्वाहा,सूर्याय इदं न मम
भूर्भुवःस्व:स्वाहा,प्रजापतये इदं न मम
ये चार बून्द घी हवन करने की प्रक्रिया को मंगल हवन भी कहा जाता है।
मानव हो या पशु या फसलों को स्वस्थ्य करना हो तो यह शुरू में यह मंगल हवन अवश्य करना है।
ये चार बून्द घी हवन करने की प्रक्रिया को मंगल हवन भी कहा जाता है।
मानव हो या पशु या फसलों को स्वस्थ्य करना हो तो यह शुरू में यह मंगल हवन अवश्य करना है।
घी की इन चार आहुति के होते ही वातावरण कण्डे व घी के जलने के संयोजन के निकले हुए अनुकूल वायु एथिलीन ऑक्साइड, प्रोपलीन ओक्साइड,फार्मेल्डिहाइड से भर जाता है।
मैंने आपको बताया ही है कि वायु को अनुकूल करने का काम गाय का घी ही करता है।
*सुगन्धिम पुष्टि वर्धनम*
इन चार आहुति से सुक्ष्म पदार्थ प्राप्त करने का वातावरण तैयार हो जाता है।
*सुगन्धिम पुष्टि वर्धनम*
इन चार आहुति से सुक्ष्म पदार्थ प्राप्त करने का वातावरण तैयार हो जाता है।
अब आपको निम्न औषधियां हवन पात्र में 8 मिनट में 4 बार में डालकर अनुलोम विलोम (पहले नाक से श्वांस लेना व दूसरे से छोड़ना फिर दूसरे से लेना और पहले से छोड़ना) है।
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ऐसा
दिन में कम से कम 3 बार सुबह दोपहर रात्रि में करना है।
अन्य चिकित्सा की तरह ही गन्ध चिकित्सा भी व्यक्तिगत होता है,रात्रि में सोने के पहले अपने शयनकक्ष (बेडरूम) में करें।

ऐसा
दिन में कम से कम 3 बार सुबह दोपहर रात्रि में करना है।
अन्य चिकित्सा की तरह ही गन्ध चिकित्सा भी व्यक्तिगत होता है,रात्रि में सोने के पहले अपने शयनकक्ष (बेडरूम) में करें।
मानवीय बीमारियां और और उनके निदान निम्नवत है
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रात्रि बहुत बढ़िया नींद आएगी।



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✅सिरदर्द* – मुनक्का की आहुति हवन में दें


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✅मस्तिष्क बलवर्धक* - ब्राम्ही,शंखपुष्पी,सफ़ेद चन्दन की आहुति दें

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✅वातरोग नाशक* – त्रिफला,पिप्पली की आहुति दें,

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✅मनोविकार नाशक* – गुग्गल और अपामार्ग की आहुति दें

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✅मानसिक उन्माद नाशक* – जटामासी चूर्ण की आहुति दें

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✅पीलिया नाशक* – देवदारु, भूमि आंवला पंचांग, नागरमोथा, कुटकी और वायविडग्ग की आहुति दें

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✅मधुमेह नाशक* – गुग्गल,जामुन की गुठली या वृक्ष की छाल का चूर्ण,गुड़मार और करेला के डंठल संभाग की आहुति दें ।


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✅मलेरिया नाशक* – गुग्गल,कचूर,दारुहल्दी, अगर,तगर, वायविडग्ग, जटामासी, वच, देवदारु, अजवाइन, चिरायता समभाग चूर्ण की आहुति दें


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✅निमोनिया नाशक* – वच मूल, गुग्गल,हल्दी,हींग और अडूसा संभाग चूर्ण की आहुति दें


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✅कफ नाशक* –हल्दी चूर्ण, वच मूल, अडूसा पत्र सम्भाग चूर्ण की आहुति दें।

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✅शीत पित्त नाशक*- दारुहल्दी और हरण का सम्भाग हवन करें।

सामान्यतः जिन औषधियों को आयुर्वेद का डॉक्टर खाने के लिए देता है उनका हवन करना है।
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*पशुपालन में गन्ध चिकित्सा*
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👉पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए कुपोषण दूर करने वाले उक्त योग का चार बार हवन करें।
फिर सुगन्धित द्रव्य (अगर,तगर,चन्दन,नागरमोथा,दालचीनी का मिश्रण आधी चम्मच) डालकर गन्ध होने दें।
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*पशुपालन में गन्ध चिकित्सा*
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फिर सुगन्धित द्रव्य (अगर,तगर,चन्दन,नागरमोथा,दालचीनी का मिश्रण आधी चम्मच) डालकर गन्ध होने दें।


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*फसल स्वस्थ्य में गन्ध चिकित्सा*
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✅पौध पोषण* - जौ और तिल या सरसो या अलसी या किसी भी तिलहन की खली मिलाकर हवन करें।

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✅पौधों में फूल बढ़ाने के लिए* आंकड़ा(मदार),पलास(टेशू) व महुआ के फूलों में शहद मिलाकर चुपड़कर हवन करें।
फूल आते समय पौधों के नीचे हवन करें या पौधों की लाइन में हवन करते जाएं चलते जाएं।

फूल आते समय पौधों के नीचे हवन करें या पौधों की लाइन में हवन करते जाएं चलते जाएं।


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