पानी बिना मौत या...??
जलस्तर बहुत तेजी से नीचे जा रहा है गाँव में भी 400 से 500 फ़ीट तक बोर करने से पानी मिल रहा है या नहीं मिल रहा है
यह कितना चिंताजनक है और कितने लोग इसको लेकर चिंतित हैं इसका आप स्वयं आकलन कीजिए
पूरे देश में कंकरीट का बिछता जाल और रासायनिक उर्वरक ने आने वाली पीढ़ी का पेयजल ख़त्म कर दिया क्या देकर जाएँगे हम अपनी पीढ़ियों को ??
हम सभी इस बात से वाक़िफ़ हैं की भू जल स्तर अनवरत गिरता जा रहा है जहाँ पर पानी पहले 60-70 फ़िट पर मिलता था वही अब कई सौ फ़ीट सबमरसिबल से भी बमुश्किल मिल रहा है
अपने आस पास देखिए कई शहर गाँव में पानी है ही नहीं लोग ख़रीद कर पीने को मजबूर हैं और आप सोचिए इसका कारण क्या है
कैसे हमारे पूर्वजों ने इतने वर्षों तक यह बचाकर रखा था हमारी पीढ़ी के लिए और हम क्या देकर जाने वाले हैं अपनी पीढ़ी को बिना पानी जीवन ?
वर्षा का और सिंचाई का ही पानी रिसकर ज़मीन के नीचे अनेको परत को पारकर इकट्ठा होता रहा है जो की स्वच्छ और पीने योग्य है तमाम मिनरल से परिपूर्ण लेकिन हो क्या रहा है हम अनवरत उसका दोहन कर रहे हैं और संवर्धन का सोच नहीं रहे हैं ।
यह ऐसा ही है जैसे अकाउंट से पैसे सिर्फ़ निकलना है डालना कुछ नहीं तो परिणाम क्या होगा एक दिन अकाउंट ख़ाली हो जाएगा आप...!
इसका प्रमुख कारण है खेत में रासायनिक खाद का प्रयोग और जहरीला कीटनाशक जो की ज़मीन की उर्वरा शक्ति को क्षीण करने के अलावा परत को सख़्त कर देते हैं और पानी नीचे नहीं जा पाता जिसकी वजह से ज़मीन भी बंजर हो जाती है धीरे धीरे तथा पानी भी ख़त्म हो रहा है
भारतीय देशी गाय ही एक विकल्प
होता क्या है की जब हम गोबर से बनी खाद खेत में डालते हैं तो केचुआ उसको खाता है गोबर केचुआ का मुख्य भोजन है
लेकिन वहीं अगर रासायनिक खाद को डालेंगे तो केचुआ मर जाएगा आप अपने खेत में देखिए एक भी केचुआ नहीं हैं
केचुआ सिर्फ़ गोबर को ही नहीं खाता है बल्कि ज़मीन को भी खोदता है
गोबर बहुत तरह के जीवाणुओं का आहार है और जीवाणु फ़सल के लिए आहार है इस क्रम में यह खाद ज़्यादा उपयोगी है जो पोषण आप ज़हर से दे रहे थे वही अब जीवाणु देंगे तो अनाज स्वस्थ और शरीर भी
केचुआ एक जीव होता है इसको किसान मित्र कहा जाता था, अभी के जैसे नहीं अब तो सरकार आदमियों को किसान मित्र बनाती है जो ज़हर की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं
लेकिन केचुआ ऐसा नहीं है वह सच में मित्र है उसका भोजन है गोबर जो की खाद के रूप में उसको खेत में मिलेगा
अब केचुआ करता क्या है तो यह ज़मीन के अंदर जाता है एक होल बनाते हुए और फिर बाहर निकलता है दूसरे होल से यही काम है इसका ।
यह काम केचुआ दिन में तीन चार बार करता है और अगर एक केचुआ एक साल ज़िंदा रह जाए तो 36 मैट्रिक टन मिट्टी को उलट पलट कर देता है अपने जीवन में ।
केचवे का बनाया हुआ यह छेद पानी को तलहट तक पहुँचाता है ( वॉटर रीचार्जिंग ) !
इतना ही मिट्टी अगर आपको ट्रैक्टर से उलट पलट करना है तो लगभग छेह हजार का डीज़ल लगेगा !
अब आप सोचिए एक केचुआ हजारो रूपये बचा रहा है लाखों केचुआ रहेंगे कितना बचेगा
बड़े बुज़ुर्ग कहते हैं रोटी मिट्टी और पान को उलट पलट करते रहना चाहिए नहीं तो ख़राब हो जाते हैं और आपका यह काम फ़्री में हो रहा है लेकिन आप यूरिया डालकर केचुआ मार देते हैं जिससे ज़मीन पत्थर जैसी कड़क हो रही है
अगर अपने खेत में केचुआ ख़त्म कर चुके हैं आप तो दुबारा से पालिए और उसके लिए कुछ नहीं करना है कहीं से केचुआ खोदकर एक जगह गोबर में छोड़ दीजिए
एक केचुआ अपने जीवन काल में लगभग पचास हजार बच्चे पैदा करता है मरने से पहले उनको खेत में डालिए वह बढ़ते जाएँगे और आपका काम फ़्री में करेंगे ।
केचुआ आपकी ज़मीन को खोदेगा जो जमीन उर्वरक क्षमता खो चुकी है वह जीवित हो जाएगी
जो बंजर (पानी न सोखने वाली ) हो गई है वह छोटे-छोटे छेद जो केचवे ने बनाए हैं उससे पानी सोखेगी और आपका खेत अमृत की तरह अनाज पैदा करेगा और भूजल का स्तर बढ़ेगा !
इस तरह आप न सिर्फ़ खाद का पैसा बचा पाएँगे बल्कि आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी
साथ ही रासायनिक खाद का भारत में लगभग छह लाख करोड़ का बाज़ार है जो हर साल हमसे लूटकर विदेश ले जाया जा रहा है जिसको हम रोककर देश का भी भविष्य सुरक्षित कर सकेंगे , लेकिन अफ़सोश की यह सब जानते हुए भी आपको नहीं बताया जाता है !
इसके अलावा गाँव के तालाब जो लोग निजी हित में क़ब्ज़ा किए जा रहे हैं और पाटकर घर या खेत में तब्दील कर देते हैं उन सब से उसे ख़ाली करवाकर गहरा व स्वच्छ रखिए यही विकल्प है
अगर आपको लगता है की यह सब बकवास है तो इसके अलावा भी कोई उपाय हो तो अवश्य सुझाये
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