गौ ग्रास के लिए एक रूपया निकाले
भारतीय संस्कृति ने गाय को कामधेनु माना है. मानव के जीवन में गाय से अधिक सहयोग देनेवाला अन्य कोई प्राणी नही है.
खेती जोतकर अनाज देती है, उत्तम खाद देती है, गोबर गैस प्लांट से भोजन पकाने का गैस देती है, गोमूत्र के रूप में उत्तम औषधि देती है.
माता साल भर दूध पिलाती है पर गो माता बच्चे को और माँ को भी जीवन भर दूध पिलाती है. सनातन भारत में इस माता के उपकारो को स्मरण करके इसे परिवार में स्थान दिया, अवध्य माना और अपने भोजन से पहले गोमाता के लिए गोग्रास निकलने का धर्म प्रचारित किया
आज की परिस्थिति में गो ग्रास देने के लिए हर घर में गाय मिलना असम्भव है.
गो ग्रास के लिए यदि गाय न मिले तो गो ग्रास के रूप में हर परिवार को रोजाना कम से कम एक रूपये निकलना चाहिए
और साल भर बाद जिस गोरक्षण संस्था में आपको गाय की सेवा होती दिखे उसे समर्पित कर देना चाहिए.
इसे धर्म का ही रूप गोसेवा का ही रूप और गो रक्षा का ही रूप समझना चाहिए.
इससे आप गो संवर्धन जैसे पुन कार्य में भागी बन सकेगे.
निवेदन
व्रजराज गौशाला एवं पञ्चगव्य अनुसन्धान केंद्र
रीठी, कटनी, मध्य प्रदेश
व्हाट्स एप 9407001528
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