गौ रक्षा के लिए क्या करे???
गोवध भारत का कलंक है गौरक्षा हेतु हमे नीचे लिखे बिन्दुओ पर कार्य करना आज से ही शुरू करना
1) गौ संरक्षण बूढी, बेकाम गायो के लिए गोसदनों की स्थापना करना व् कराना चाहिए जिनमे गाय के अपनी मौत मरने के समय तक उसके लिए आवश्यक चारे-पानी और चिकित्सा की व्यवस्था हो.
नस्ल न बिगड़े इस दृष्टि से वहां गायो को बरदाया न जाय
2) गाय की नस्ल सुधार का प्रयत्न करना, जिससे गाये प्रचुर दूध देनेवाली हो, बैल मजबूत हो और मरे हुए गाय बैलो की अपेक्षा जीवित गाय बैलो का मूल्य बढ़ जाय.
इस प्रकार गाय को आर्थिक स्वावलम्बी बनाना चाहिए
3) जिन शहरो में गाय रखने के लिए पर्याप्त स्थान नही है, जहा कृत्रिम व् निर्दय उपायो से दूध निकल जाता है, बछड़े मरने दिए जाते है, दूध सूखते ही गाय कसाई के हाथ बेच दी जाती है, क़ानूनी प्रतिबन्ध होने पर म्युनिसिपलिटी की सीमा से बाहर ले जाकर गाय मार दी जाती है, वहां जबतक ये बाते दूर न हो तब तक गायो को बाहर कतई न जाने दिया जाय. स्थान की सुविधा कराना तथा सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था कराना जिसमे गायो को दिए ये सब कष्ट दूर हो
4) गाय को भरपेट चारा-दाना मिले इसके लिए व्यवस्था करना गोचर भूमि को मुक्त करवाना। नए-नए चारे की खेती करना और कराना चाहिए
5) वर्तमान गोशालाओ का सुधार करना और जो दया भाव से केवल बूढी अपँग गायो के लिए खोले गए है उन्हें डेरी फार्म न बनाकर उसी काम के लिए रहने देना चाहिए
6) गायो का गर्भाधान, विशेष दूध देने वाली गौ के पुत्र बलवान तथा श्रेष्ठ जाती के देशी सांड से ही कराना. अच्छी नस्ल के देशी सांडो का निर्माण तथा विस्तार करना, बूढ़े सांडो से तथा जर्सी सांडो से गर्भाधान का काम कतई न लिया जाना चाहिए
7) कसाईखानों में मारी हुई गायो चमड़े इत्यादि से बनी बस्तुए-जूते, बटुए, बेल्ट, आदि का व्यवहार न करने की शपथ करना व् कराना चाहिए
8) गोवध में सहायक चमड़े, मांस, आदि का व्यापार जिससे गोवध होता है बिलकुल न करना
9) गौशालाओ के द्वारा भी मरे हुए पशुओ के चमड़े, हड्डी, सींग, केश आदि से अर्थ उत्पन्न करना और उसे बूढी अपँग गायो की सेवा में लगाना चाहिए
10) ट्रेक्टरो का व्यवहार न करके या कम से कम करके हल जोतने का काम केवल तथा रासायनिक खाद का उपयोग न करके गोबर, गोमूत्र की खाद से ही काम लेना और इसकी उपयोगिता का प्रतिपादन करना चाहिए
11) यथासाध्य गाय के ही दूध, दही, घी का व्यवहार करना और कम से कम एक गाय का पालन करना चाहिए
13) गौशालाओ को आत्मनिर्भर बनाने हेतु गोबर व् गौमूत्र तथा पंचगव्य से बनने वाले उत्पादों का निर्माण कर गौशालाओ को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए.
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