Saturday, 19 November 2011

जो सबेरे शयन से उठकर गौ की परिक्रमा करता है उसके......


पूर्व काल में स्वयंभू ब्रह्माजी ने अग्निहोत्र तथा ब्राह्मणों के लिए सम्पूर्ण तेजो का संग्रह करके कपिला गौ को उत्पन्न किया था. कपिला गौ पवित्र वस्तुओ में सबसे बढ़कर पवित्र, मंगल जनक पदार्थो में सबसे अधिक मंगलकारिणी तथा पुण्यो में परम पुन्य स्वरूप है.
ब्रह्माजी की आगया से कपिला के सींगो के अगर भाग में सदा सम्पूर्ण तीर्थ निवास करते है. जो मनुष्य सबेरे उठकर कपिला गौ के सींग और मस्तक से गिरती हिजल धरा को अपने सर पर धारण करता है वह उस पुन्य के प्रभाव से सहसा पापरहित हो जाता है. जैसे आग तिनके को जला डालती है उसी प्रकार वह जल मनुष्य के तीन जन्मो के पापो को भस्म कर डालता है. जो कपिला का मूत्र लेकर नेत्र आदि इन्द्रियों में लगता तथा उससे स्नान करता है वह उस स्नान के पुन्य से निष्पाप हो जता है उसके तीस जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है. जो प्रातः उठकर भक्ति के साथ कपिला गौ को घास की मुट्ठी अर्पण करता  है, उसके एक महीने के पापो का नाश हो जाता है. जो सबेरे शयन से उठकर कपिला गौ की परिक्रमा करता है उसके द्वारा समूची प्रथ्वी के परिक्रमा हो जती है. 

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