हम साबुन से नहाकर सोचते है की हमारे शरीर की सफ़ाई हो गयी , परंतु सफ़ाई ऐसे होती है जैसे जब चोर घर का पुरा माल ले जाता है फिर हम बोलते है की चोर घर का पुरा माल साफ़ कर गया ।
भाइयों वेद के अनुसार अपनी स्किन ख़ुद सफ़ाई करती है ,वेद में नहाने का ज़रूर लिखा है परंतु उसका उद्देश अपनी शरीर की माँसपेशियों को एक्टिव करने का है ,
अपने शरीर का तापमान ३७ डिग्री रहता है और सामान्य मौसम में पानी का तापमान २५ डिग्री रहता है ,
जब शरीर से कम तापमान शरीर पर डालते है तो उसको ३७ डिग्री तक लाने के लिए सारी मांसपेशिया एक्टिव हो जाती है ,
बस इतना ही काम बताया है नहाने से वेद में ।
अब इन भांड लोगों ( फ़िल्मी दुनिया ) ने TV पर इतना प्रचार कर दिया कि बिना साबुन के नहाना मतलब ग़रीब , महागरीब ।
मै पिछले एक साल से केवल सादे पानी से नहा रहा हु , और शरीर एकदम स्वस्थ है ।
साबुन के दुस्परिणाम
पहला स्किन पर कुछ चिकनाई रहती है जिस से स्किन फटे नहीं और मुलायम रहे और स्किन स्वस्थ रहे ।
साबुन ने चिकनाई ख़त्म कर दी , नहाने के बाद शरीर पर तेल लगाओ या स्किन रोग होना निश्चित है ।
अब आगे सुनो जब साबुन के उपयोग के बाद पानी नाली में बहा जाता है । फिर ये गंदा पानी ज़मीन में जाएगा या किसी नदी नाले में ।
इस तरह ये पानी दोनो जगह से लोटकर प्रदूषित होकर , कैन्सर युक्त होकर हमारे पास वापिस आता है ,या तो ट्यूबवेल , हेंडपम्प , या नगर पालिका से सुबह सप्लाई होकर ।
नगर पालिका से जो पानी घरों में आता है वह किसी नदी पर डैम बनाकर या बहती नदी के पानी को फ़िल्टर प्लांट पर साफ़ करके सप्लाई की जाती है
जब फ़िल्टर प्लांट पर पानी साफ़ होता है तो , उसको दो तरह से साफ़ किया जाता है की वो दिखने में साफ़ हो दूसरा ज़हरीला ना हो
रेत में छानकर साफ़ कर दिया और क्लोरीन डालकर किटाणुरहित कर दिया ,
क्लोरीन अपने में ही ज़हर है मतलब ज़हर को बड़े ज़हर से मारा गया ।
फिर वो पानी आपके पास ही आएगा , जब इस तरह का पानी लम्बे समय तक पियोगे तो कैन्सर होना निस्चित है ।
अब इस साबुन का पानी नदी नाले से किसान भी अपनी फ़सलो को देते है ,
वो फ़सल भी ज़हरीली होती है और मिट्टी भी कठोर हो जाती है , मिट्टी इतनी कठोर हो जाती है की इसकी जुताई केवल ट्रैक्टर से हो सकती है बैल से नहीं ।
और जब मिट्टी कठोर हो गयी तो बारिश का पानी नीचे ज़मीन में नहीं जाएगा , केवल बाढ़ लाएगा
मतलब प्रलय ही प्रलय
इसी तरह
कपड़े धोने का साबुन,
बर्तन साफ़ करने वाला साबुन ,
टॉयलेट साफ़ करने वाला हार्पिक का उपयोग करना कैन्सर को न्योता देना है ,
इन सभी का विकल्प मिट्टी है , मिट्टी को साबुन की जगह उपयोग कीजिए मानव जीवन को बचाइए
(वैद्य जीतुभाई, डीसा, गुजरात)
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ब्रजराज गौशाला रीठी, कटनी, एम पी
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