Wednesday, 12 September 2018

भारत में पैकेट बंद दूध

आओ हम सब मिलकर जहर पियें!!
क्या आप पैकेट का दूध पीते हैं?? 
क्या आपके मिल्क में भी आ जाती है मोटी मलाई की पर्त?
अगर हाँ, तो मुबारक हो भाइयों, जल्दी ही प्रभु से मिलन का रास्ता खुल रहा है आपके लिए….


वर्ष 1830 | Germany के एक वैज्ञानिक ने एक अनोखे पदार्थ की खोज की जिसका नाम उन्होंने रखा मेलामाइन |
सीमेंट जैसा दिखने वाला सफ़ेद रंग का यह पाउडर बहुत चमत्कारी था | जैसे ही इसे वैज्ञानिकों ने formaldehyde के साथ मिलाया, और बहुत अधिक ताप पर गर्म किया तो यह पदार्थ एक moldable मटेरियल में बदल गया जो virtually unbreakable था |
इस पदार्थ को अपने हिसाब से सांचों में ढालकर विभिन्न उद्योगों जैसे प्लास्टिक उद्योग, खाना खाने के बर्तन, चाय के कप, और फ्लोर की चमकदार टाइल्स बनाने के लिए प्रयोग किया जाने लगा |
किन्तु किसी ने सच ही तो कहा है कि इंसान की डीड्स की पूर्ति के लिए तो प्रकृति, ईश्वर और वैज्ञानिकों ने मिल कर बहुत कुछ दिया पर ग्रीड्स को शांत करने के लिए तो जो भी दिया वही कम!!
दुष्ट बुद्धी इंसान ने धीरे धीरे पता चला लिया कि मेलामाइन में 67% नाइट्रोजन होती है |
यहाँ पर आपको बता दूँ कि किसी भी खाद्य में protein की मात्रा कितनी है इसका टेस्ट एक विशेष विधि “Kjeldahl Test” से किया जाता है जिसमें यह देखा जाता है कि उस पदार्थ में नाइट्रोजन की मात्रा कितनी है | अधिक नाइट्रोजन मतलब खाद्य पदार्थ में protein की मात्रा अधिक है 

बस, फिर क्या था मेलामाईन से फ्लोर की टाइल्स बनाते बनाते दुष्ट बुद्धी ने इसे non-protein सोर्स की तरह खाद्य पदार्थो में मिलाना शुरू कर दिया ताकि उसमे अधिक प्रोटीन होने का अहसास होने लगे |
पहले तो दुष्ट बुद्धि ने इसे गेहूं के आटे में मिलाया और उस आटे से गाय भैंसों और कुत्तो के लिए protein rich पैकेट बंद यमी फ़ूड बनाया | लैब में जब इस फेक हाई protein डाइट को टेस्ट किया जाता तो उसमें मेलामाईन की मिलावट के कारण खूब नाइट्रोजन मिलती | जिससे लगता कि वास्तव में भर भर के protein है 
भाई इसमें तो  मेलामाईन मिला खाना खा खा कर कितनी गायें मरी होंगी इसका डाटा तो दुनिया में किसी के पास नहीं किन्तु मेलामाईन मिला पशुओ का protein rich फीड अमेरिका में खूब पकड़ा गया और बाद में 2010 के दौर में इस पर बंद भी लगा |

अब भारत तो भारत है भाई, यहाँ तो कंकड़ हजम, पत्थर हजम, किसी पर कुछ फर्क ही नही पड़ता….!!
पशु पुरी दुनिया में कम से कम एक दशक तक मेलामाईन मिला खाना खाते रहे और यह जहर खाकर मरते रहे किन्तु वर्ष 2008 में हवस की खोपड़ी को नया आईडिया आया |
हवस की खोपड़ी ने सोचा कि पशु ही क्यों, इंसान के दुधमुहे बच्चो के पापा भी तो पेल कर protein rich यम्मी दूध का पाउडर अपने बच्चो के लिए खूब खरीदते है तो क्यूँ ना मेलामाईन को डायरेक्ट ड्राई मिल्क फार्मूला में मिलाया जाए | ताकि उसमें खूब protein पडी हुयी दिखाई दे |
बस, दुष्ट बुद्धि ने इसे इन्फेंट मिल्क पाउडर में मिला दिया | और खूब प्रचार किया कि यह दूध का पाउडर protein से भरपूर है |
लैब में जब इस पाउडर को टेस्ट किया गया तो उसमें खूब नाइट्रोजन मिली| लैब भी चकमा खा गयी और दूध बाजार में उतर गया | सबसे पहले यह दूध, मिलावट खोरो के सरदार चीन में उतारा गया किन्तु जब इस मेलामाईन मिले दूध को पी पी कर चीन के 3 लाख से अधिक बच्चे एक साथ बीमार पड गये तो सन 2008 में चीन सरकार ने इस मिलावट खोरी को पकड़ लिया |
इतिहास में इस घटना को “2008 Chinese milk scandal” की नाम से जाना जाता है आप लोग गूगल करके पढ़ सकते हैं|
दुसरे कई देशो में इस तरह का मिल्क बिकता हुआ मिला पर सभी जगह की सरकार ने इसे पकड़ लिया |
शैतान खोपड़ी को पता चल चुका था कि अब अमेरिका चीन जैसे देशो में उसकी दाल गलने वाली नहीं तो उसने तब भारत का रुख किया |
भारत में उसने आज तक कितने दुधमुहे बच्चो ने यह फेक protein युक्त दूध पिया किसी को नहीं पता क्योकि किसी ने आज तक इसका टेस्ट ही नहीं किया !!
कितने बच्चे इस दूध को पी पीकर बीमार होकर अस्पतालों में भरती हो रहे हैं, किसी को भी आज तक नहीं पता | किसी के पास कोई डाटा नहीं है|

अब सुनिए इससे आगे की मजेदार बात:
भारत की शैतान खोपड़ी के दिमाग में दुसरी ही बात चल रही थी | उसने सोचा कि क्यूँ न इस जादुई पदार्थ से पूरा का पूरा दूध ही बना दिया जाये!
तो उसने दूध लिया और उसमें पेल कर पानी मिलाया | पर पानी मिलाने से तो उसमें protein की मात्र कम हो गयी जिसे लैब में टेस्ट करके पकड़ लिया जाता !
शैतान खोपड़ी को पता था कि मेलामाईन को अगर इस पानी मिले दुध में मिला दिया जाये तो मेलामाईन से नाइट्रोजन निकलेगी जो लैब में किये जाने वाले protein टेस्ट को चकमा दे देगी और लगेगा कि दूध में उतनी ही protein है जितनी होनी चाहिए |
पर भाई वसा भी तो कम हो जायेगी !! इसका समाधान शैतान खोपड़ी ने सुवर गाय भैंस इत्यादि की चर्बी मिला कर कर दिया !!
तो लो जी हो गया सफ़ेद सफ़ेद protein rich दूध तैयार !! कोई माई का लाल बता नहीं पायेगा कि इसमें protein नहीं मेलामाईन नाम का जहर मिला हुआ है! वही जहर जिससे बनती है फर्श की टाइल्स!!
और दोस्तों…..हद तो तब हो गयी जब भारत की खाद्य नियत्रक संस्था FSSAI नें वर्ष 2016 में एक कानून बनाकर भारत में बिकने वाले दूध में मेलामाईन को लीगल कर दिया !!
आज सूखे दूध का इन्फेंट फार्मूला बनाने वाली कोई भी कंपनी अपने सूखे दूध में 1 mg / kg मेलामाईन मिला सकती है | Liquid infant formula जैसे कि लिक्विड दूध में यह परमिशन 0.15 mg/ लीटर और अन्य खाद्य पदार्थो में 2.5 mg/kg के हिसाब से मेलामाईन नाम का जहर मिलाने की खुली परमिशन है !!
क्या मजबूरी थी!! fssai नें दूध और इन्फेंट मिल्क पाउडर में इस जहर को मिलाने की परमिशन क्यूँ दी यह तो fssai ही जाने !!
इस परमिशन के ऊपर पैकेट में बिकने वाले दूध में कितना मेलामाईन वास्तव में डाला जा रहा है इसका डाटा शायद ही किसी के पास हो !
पर मैंने खुद देखा है आजकल पैकेट के दूध में बहुत मोटी मलाई की परत आती है! दोस्तों, यह मलाई नही फ्लोर की टाइल्स बनाने वाला सफ़ेद सफ़ेद मेलामाईन है……..
मैंने सुबह fb पर एक छोटा notification डाला था कि आज शाम को मैं इस विषय पर पोस्ट लिखूंगा | इस notification को बहुत लोगो ने शेयर किया अभिनव गोस्वामी जी ने भी किया | वह पर एक भाई Rahul Suroliya जी ने एक कमेंट किया जिसे मै ज्यों का त्यों यहाँ मेंशन कर रहा हूँ….उन्होंने लिखा
“हा जी मुझे भी पता चला करीब दो दिन पहले मैं रीको एरिया बहरोड़ मे गया हुआ था तो मैने देखा के कुछ लोग मोटरबाइक पर तो कुछ गाड़ी भर के कुछ कटे सफेद रंग के बिना प्रिंट किया हुआ ले जा रहे थे मुझे लगा कि पूछा जाए कि ये क्या वस्तु है मुझे पहले टी लगा कि कोई व्हाईट सीमेंट बनाने वाली कंपनी होगी पर जब मुझे पता चला के ये दूध बनाने का जुगाड़ है मैं हैरान रह गया बताने वाले ने बताया के आप इस दूध से दही, पनीर,खोया, बना सकते हो और कोई पहचान भी नही पायेगा”
तो मेरे भाई Rahul Suroliya वो सफ़ेद सफ़ेद रंग का वाइट सीमेंट जैसा पदार्थ और कुछ नहीं, दूध बनाने का जादुई जुगाड़ मेलामाइन ही था…..!!

तो मित्रो, आइये हम सब मिलकर इस दूध और सूखे दूध के पाउडर में मिला यह लीगल जहर मेलामाइन पीये और पीते रहे, और इसकी मोटी मलाई खाते रहें…..
मेडिकल साइंस में यह prove हो चुका है कि मेलामाईन एक बहुत ही खतरनाक किस्म का जहर है| इसकी माइक्रोग्राम मात्रा भी किडनी की कोशिकाओं को डैमेज कर नष्ट कर देती हैं!
इससे किडनी फ़ैल हो जाते हैं और तमाम तरह की अन्य बीमारिया लग जाती हैं! मेलामाईट के कण गुर्दों में जमा हो जाते हैं और पथरी बनाते है सफ़ेद सफ़ेद टाइल्स के फर्श जैसी पथरी ! इसके संपर्क में आपने वाली कोशिकाए ROS नामक केमिकल बनाती है जो खतरनाक कैंसर पैदा करता है | इसके ऊपर वर्ष 2015 से लेकर अब तक सैकड़ो रिसर्च पेपर्स आ चुके हैं ! डाक्टर वैज्ञानिक लोग चाहे तो गूगल सर्च कर सकते हैं | आपके हमारे दुधमुहे बच्चो के ऊपर यह लीगल जहर खाकर क्या असर पड रहा होगा आप सोच सकते हैं |
किन्तु मेरा भारत महान….हम सब तो मेलामाईन से बना protein rich दूध पी पीकर भी मोटे ताजे हुए जा रहे हैं और हमारे बच्चे भी यम्मी पाउडर वाला दुध पीकर ओलम्पिक मैडल लाने लगे हैं!
तो डर फिर किस बात का….FSSAI नें भी अब्दुलों, अम्बानियों को परमिशन दे ही दी है इस जहर को दूध, दूध पाउडर और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाने की …तो दोस्तों आओ हम सब मिल कर मेलामाईन का सफ़ेद सफ़ेद उजला लीगल जहर मिल कर खाए और भारत में कानून बनाने वाली सरकारों को वोट देकर विजयी बनाये……
जय हिन्द तो बोल दो…..
डॉ सुनील वर्मा

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