चमत्कार
घटना हमारे यहाँ श्रीरामपूर मील की है | पांच साल पूर्व हमने श्रीरामपूर (अहमदनगर) में श्रीलक्ष्मी इंडसट्रीज के नाम से श्रीरघुनाथदास धूतकम्पनी की भागीदारी में आयल मील शुरू की |
प्रारम्भ में दो सालतक कभी मशीनिरी टूट गयी, कभी कुछ नुकसान हो गया – बड़ी तकलीफ रही | लाख कोशिश करने पर भी हम सम्भाल नहीं सके |
एक दिन देखा गया – मिल के दरवाजे के सामने एक गाय पड़ी हुई है | कसाई उसे ले जाने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहा है – मारपीट कर रहा है, तब भी गाय जरा भी नहीं हिलती |
देखने वालों की आँखों में आसूँ आ गए | मिल के मजदूरों ने उपर्युक्त घटना देखकर मेनेजर को सूचना दी | मेनेजर ने आकर कसाई के द्वारा छ्तीश (३६) रूपये में लायी हुई हष्ट-पुष्ट गौ को पांच रूपये मुनाफा – (कूल इकतालीस रूपये) देकर छुड़ा लिया |
जो गौ कसाई के प्रयत्न करने पर भी जरा भी नहीं हिलती थी | कसाई के छोडते ही सीधे मील में चली गयी |
तबसे वह गाय मील में ही पाली-पोसी जाने लगी | उस गौ के मील में आने के बाद से ही मील की हालत दिनों दिन सुधरती गयी |
जिस मील के चलने में बराबर अड़चन आ रही थी, आज वह मील गौ-माता की कृपा से बहुत अच्छी चल रही है |
वह तीन अच्छी नस्ल के बछड़े दे चुकी है और प्रतिदिन पांच लीटर दूध देती है | छोटा बच्चा भी उसके पास चला जाता है तो वह उसे जरा भी नहीं छूती |
पर किसी दुसरे जानवर को कभी पास नहीं आने देती | भगवान ऐसी कल्याणमयी गोमाता को मिल के दरवाजे पर पहुचायां, इसके लिए हम उनके बड़े कृतज्ञ हैं |
गोसेवा के चमत्कार (सच्ची घटनाएँ), संपादक -श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार, पुस्तक कोड ६५१, गीताप्रेस गोरखपुर, भारत
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