भारत देश की रीढ़ है गौ माता
आज समय की मांग है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलें। हमारे भारत देश में जब-जब भी गाय पर अत्याचार हुआ तब-तब गो रक्षक आगे आए। उन्होंने अपने प्राणों की चिंता किए बिना गाय माता को प्रत्येक विपदा से बचाया।
भगवान श्री कृष्ण जी ने तो गाय को दावानल से बचाने के लिए अग्नि तक का पान कर लिया था।
मंगल पांडे जी ने गोरक्षा के लिए फाँसी के फंदे को भी स्वीकार कर लिया था।
महाराज दिलीप ने गाय के बदले अपने प्राण सिंह को देना उचित समझा था।
भारत देश में गाय को ही सर्वश्रेष्ठ धन समझा गया और गाय ही हमारे देश की रीढ़ है।
अगर गाय सुरक्षित होगी तभी हम भी सुरक्षित होंगे।
अगर गाय असुरक्षित हुई तो धरती के साथ-साथ मानव का जीवन भी असुरक्षित हो जाएगा।
इसलिए आवश्यकता है कि सभी भारतवासी मिल कर गोसंरक्षण, गो संवर्धन व गो दान के लिए आगे आएं।
लुप्त होती जा रही भारतीय देसी गाय की नस्लों को बचाएं।
गो रक्षण एक महान यज्ञ के है जिसे संपूर्ण करने के लिए सभी को अपनी सहयोग रूपी आहूति डालनी चाहिए।
एक ओर जहाँ आज भारतवासी अपनी संस्कृति व गाय को माहात्म्य को भूल रहे हैं वहीं व्रजराज गौ शाला पुनः भारतवासियों को उनकी संस्कृति के साथ जोड़ कर गाय का माहात्म्य समझा रहे हैं।
भारतवासी अपनी संस्कृति के साथ-साथ आयुर्वेद को भी विस्मृत करते जा रहे हैं।
जहां गाय के पंचगव्य के माध्यम से अनेकों प्रकार की दवाईयों का निर्माण हो रहा है।
व्रजराज गौ सेवा संस्थान के माध्यम से आज जन-जन जाग रहा है और संस्थान का समाज से आह्नान है कि सभी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर जीवन की सही दिशा को जाने व अपनी भारतीय संस्कृति को पहचानें।
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