*यदि आप गौपालक है तो आप स्वयं बना सकते है*
*प्रमुख घटक द्रव्य*
1) लाल चंदन। - 250 ग्राम
2) नागरमोथा - 250 ग्राम
3) राल - 250 ग्राम
4) गोबर - 1 किलो
5) कपूर कचरी - 250 ग्राम
6) जटामासी - 250 ग्राम
7) गौ घृत - 250 ग्राम
8) गौ मूत्र यथावश्यक
2) नागरमोथा - 250 ग्राम
3) राल - 250 ग्राम
4) गोबर - 1 किलो
5) कपूर कचरी - 250 ग्राम
6) जटामासी - 250 ग्राम
7) गौ घृत - 250 ग्राम
8) गौ मूत्र यथावश्यक
*निर्माण विधि*
उपरोक्त द्रव्य यथा प्रमाण ऐकत्रित कर मिला ले। गौमूत्र मिलाकर आटे की तरह गूथ ले।
बाद में जिस आकार की धूप बत्ती बनाना हो उसी आकार की गोल प्लास्टिक/ लोहा/ एल्युमिनियम की नली लेकर धक्का देने वाली लकड़ी या लोहे की छड़ी से ठूसकर भरे मॉल को धकेल कर बाहर निकाले।
अच्छा सूखने तक धुप में सुखाये।
*उपयोग*
उपासना की विधियों में धुप जलाने का बड़ा महत्व है।
उपासना की विधियों में धुप जलाने का बड़ा महत्व है।
*हवा शुद्धि, वायु प्रदूषण, पर्यावरण सन्तुलन, रोगाडुनासक एवं स्वास्थ्य रक्षक है।
इस विधि से बनी धुप बत्ती लोग तत्काल खरीद लगे
व् गौ पालक को एक किलो धूपबत्ती का 100 से 150 रूपये प्रति किलो का भाव मिल जाएगा।
व् गौ पालक को एक किलो धूपबत्ती का 100 से 150 रूपये प्रति किलो का भाव मिल जाएगा।
प्रस्तुति
व्रजराज गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केंद्र रीठी, कटनी, मध्य प्रदेश
व्रजराज गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केंद्र रीठी, कटनी, मध्य प्रदेश
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