Friday, 16 December 2016

गाय एक चिकित्सा शास्त्र - राजीव दीक्षित


गौमाता एक चलती फिरती चिकित्सालय है।गाय के रीढ़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है जो सूर्य केगुणों को धारण करतीहै। सभी नक्षत्रों की यह रिसीवर है। यही कारण है कि गौमूत्र,गोबर, दूध,दही, घी में औषधीय गुण होते हैं।

गौमूत्र :-आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहेगए हैं। 

गौमूत्र को विषनाशक, रसायन,त्रिदोषनाशक माना गया है। गौमूत्रका रासायनिक विश्लेषण करने परवैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैंजो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता

रखते हैं। गौमूत्र से लगभग 108 रोग ठीक होते हैं।


गौमूत्र स्वस्थ देशी गायका ही लेना चाहिए।काली बछिया का हो तो सर्वोत्तम। बूढ़ी,अस्वस्थ व गाभिन गाय का मूत्रन हीं लेना चाहिए। गौमूत्र को कांच या मिट्टी के बर्तन में लेकर साफ सूती कपड़े के आठतहों से छानकर चौथाई कप खाली पेटपीना चाहिए।

गौमूत्र से ठीक होने वाले कुछ रोगों के नाम –

मोटापा, कैंसर, डायबिटीज, कब्ज, गैस, भूखकी कमी, वातरोग,कफ, दमा, नेत्ररोग,धातुक्षीणता, स्त्रीरोग, बालरोग आदि।


गौमूत्र से विभिन्न प्रकारकी औषधियाँ भी बनाई जाती है -

1. गौमूत्र अर्क(सादा) 2. औषधियुक्त गौमूत्रअर्क(विभिन्न रोगों के हिसाब से) 3. गौमूत्रघनबटी 4. गौमूत्रासव 5. नारी संजीवनी 6.बालपाल रस 7. प्रमेहरि आदि।

2. गोबर :- गोबर विषनाशक है।यदि किसी को विषधारी जीव ने काट दिया हैतो पूरे शरीर को गोबर गौमूत्र के घोल मेंडुबा देना चाहिए। नकसीर आने पर गोबर सुंघाने से लाभ होता है।


प्रसव को सामान्य व सुखद कराने के समय गोबरगोमूत्र के घोल को छानकर 1 गिलास पिला देना चाहिए (गोबर व गौमूत्रताजा होना चाहिए)। 

गोबर केकण्डों को जलाकर कोयला प्राप्तकिया जाता है जिसके चूर्ण से मंजन बनता है। यह मंजन दांत के रोगों में लाभकारी है।


3. दूध : – गौदुग्ध को आहार शास्त्रियों ने सम्पूर्णआहार माना है और पाया है। यदि मनुष्य केवलगाय के दूध का ही सेवन करता रहे तो उसका शरीरव जीवन न केवल सुचारू रूप से चलता रहेगा वरन् वहअन्य लोगों की अपकक्षा सशक्त और रोगप्रतिरोधक क्षमता से संपन्न हो जाएगा। मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व इसमें होतेहैं। गाय के एक पौण्ड दूध से इतनी शक्ति मिलती है,जितनी की 4 अण्डों और 250 ग्राम मांस सेभी प्राप्त नहीं होती।


देशी गाय के दूध में विटामिल ए-2 होता है जो कि कैंसरनाशक है,जबकि जर्सी(विदेशी) गाय के दूध में विटामिन ए-1 होता है जो किकैंसरकारक है। भैंस के दूधकी तुलना में भी गौदुग्ध अत्यन्तलाभकारी है।

दस्त या आंव हो जाने पर ठंडा गौदुग्ध(1गिलास)में एक नींबू निचोडक़र तुरन्त पी जावें। चोट लगनेआदि के कारण शरीर में कहीं दर्द हो तो गर्म दूध मेंहल्दी मिलाकर पीवें। टी.बी. केरोगी को गौदुग्ध पर्याप्त मात्रा में दोनों समय पिलाया जाना चाहिए।


4. दही : – गर्भिणी यदि चाँदी के कटोरी मेंदही जमाकर नित्य प्रात: सेवन करेतो उसका सन्तान स्वस्थ, सुन्दर व बुद्धिवानहोता है। गाय का दही भूख बढ़ाने वाला, मलमूत्रका नि:सरण करने वाला एवं रूचिकर है। केवलदही बालों में लगाने से जुएं नष्ट हो जाते हैं। बवासीर में प्रतिदिन छाछ का प्रयोगलाभकारी है। नित्य भोजन में दही का सेवन करनेसे आयु बढ़ती है।

कुछ प्रयोग :- 

अनिद्रा में गौघृत कुनकुना करके दो-दो बूंद नाकमें डालें व दोनों तलवों में घृत से 10 मिनट तकमालिश करें। यही प्रयोग मिर्गी, बाल झडऩा,बाल पकना व सिर दर्द में भी लाभकारी है।

घाव में गौघृत हल्दी के साथ लगावें। 

अधिकसमय तक ज्वर रहने से जो कमजोरी आ जाती है उसके लिए गौदुग्ध में 2 चम्मच घी प्रात: सायं सेवन करें। 
भूख की कमी होने पर भोजन के पहले घी 1चम्मच सेंधानमक नींबू रस लेने से भूख बढ़ती है।


गौघृत से विभिन्न प्रकार की औषधियाँ भी बनती है – अष्टमंगल घृत,पञ्चतिक्त घृत,फलघृत, जात्यादि घृत, अर्शोहर मरहम आदि।


गाय एक पर्यावरण शास्त्र :
1. गाय के रम्भाने से वातावरण के कीटाणु नष्टहोते हैं। सात्विक तरंगों का संचार होता है।

2. गौघृत का होम करने से आक्सीजनपैदा होता है। - वैज्ञानिक शिरोविचा, रूस

3. गंदगी व महामारी फैलने पर गोबर गौमूत्रका छिडक़ाव करने से लाभ होता है।
4. गाय के प्रश्वांस, गोबर गौमूत्र के गंध सेवातावरण शुद्ध पवित्र होता है।
5. टी.बी. का मरीज गौशाला मे केवल गोबर एकत्र करने व वहीं निवास करने पर ठीक हो गया।

6. विश्वव्यापी आण्विक एवं अणुरज के घातकदुष्परिणाम से बचने के लिए रूस के प्रसिद्धवैज्ञानिक शिरोविच ने सुझाव दिया है -

प्रत्येक व्यक्ति को गाय का दूध, दही, छाछ,घी आदि का सेवन करना चाहिए। 
घरों के छत, दीवार व आंगन को गोबर से लीपनेपोतने चाहिए। 
खेतों में गाय के गोबर का खाद प्रयोगकरना चाहिए। 
वायुमण्डल को घातक विकिरण से बचाने के लिएगाय के शुद्ध घी से हवन करना चाहिए।


7. गाय के गोबर से प्रतिवर्ष 4500 लीटर बायोगैस मिल सकता है। अगर देश के समस्त गौवंश के गोबर का बायोगैस संयंत्र में उपयोग किया जायतो वर्तमान में ईंधन के रूप में जलाई जा रही 6करोड़ 80 लाख टन लकउ़ी की बचतकी जा सकती है। इससे लगभग 14 करोड़ वृक्ष कटने से बच सकते हैं।

गाय एक अर्थशास्त्र : 
सबसे अधिक लाभप्रद, उत्पादन एवं मौलिक व्यवसाय है ‘गौपालन’।

यदि एक गाय के दूध, दही,घी, गोबर, गौमूत्र का पूरा-पूरा उपयोग व्यवसायिक तरीके से किया जाए तो उससे प्राप्त आय से एक परिवार का पालन आसानी से हो सकता है।

 यदि गौवंश आधारित कृषि को भी व्यवसायका माध्यम बना लिया जाए तबतो औरों को भी रोजगार दिया जा
सकता है। 

* गौमूत्र से औषधियाँ एवम  कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।

* गोबर से गैस उत्वादन हो तो रसोई में ईंधनका खर्च बचाने के साथ-साथ स्लरी खादका भी लाभ लिया जा
सकता है। 

गोबर सेका ला दंत मंजन भी बनाया जाता है। 

* घी को हवन हेतु विक्रय करने पर अच्छी कीमत मिल सकती है।

घी से विभिन्न औषधियाँ (सिद्धघृत) बनाकर भी बेची जा सकती है।
*दूध को सीधे बेचने के बजाय उत्पाद बनाकर बेचना ज्यादा लाभकारी है।


गाय एक कृषिशास्त्र : 

मित्रों! गौवंश के बिना कृषि असंभव है। यदि आजके तथाकथित वैज्ञानिक युग में ट्रेक्टर ,,रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि के द्वारा बिना गौवंश के कृषि किया भी जा रहा है, तो उसके भयंकर दुष्परिणाम से आज कोई अनजान नहीं है।


यदि कृषि को, जमीन को,अनाज आदि को बर्बाद होने से बचाना है तो गौवंशआधारित कृषि अर्थात् प्राकृतिक कृषि को पुन:अपनाना अनिवार्य है।

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वाट्सएप 9407001528
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राजीव दीक्षितजी के प्रवचनों पर आधारित

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