जो सबेरे शयन से उठकर गौ की परिक्रमा करता है......
पूर्व काल में स्वयंभू ब्रह्माजी ने अग्निहोत्र तथा ब्राह्मणों के लिए सम्पूर्ण
तेजो का संग्रह करके कपिला गौ को उत्पन्न किया था. कपिला गौ पवित्र
वस्तुओ में सबसे बढ़कर पवित्र, मंगल जनक पदार्थो में सबसे अधिक
मंगलकारिणी तथा पुण्यो में परम पुन्य स्वरूप है.
तेजो का संग्रह करके कपिला गौ को उत्पन्न किया था. कपिला गौ पवित्र
वस्तुओ में सबसे बढ़कर पवित्र, मंगल जनक पदार्थो में सबसे अधिक
मंगलकारिणी तथा पुण्यो में परम पुन्य स्वरूप है.
ब्रह्माजी की आज्ञा से कपिला के सींगो के अग्र भाग में सदा सम्पूर्ण
तीर्थ निवास करते है.
जो मनुष्य सबेरे उठकर कपिला गौ के सींग और मस्तक से गिरती हुई
जलधारा को अपने सर पर धारण करता है वह उस पुन्य के प्रभाव से
सहसा पाप रहित हो जाता है.
जलधारा को अपने सर पर धारण करता है वह उस पुन्य के प्रभाव से
सहसा पाप रहित हो जाता है.
जैसे आग तिनके को जला डालती है उसी प्रकार वह जल मनुष्य के तीन
जन्मो के पापो को भस्म कर डालता है.
जन्मो के पापो को भस्म कर डालता है.
जो कपिला का मूत्र लेकर नेत्र आदि इन्द्रियों में लगता तथा उससे स्नान
करता है वह उस स्नान के पुन्य से निष्पाप हो जता है उसके कई जन्मो
के पाप नष्ट हो जाते है.
करता है वह उस स्नान के पुन्य से निष्पाप हो जता है उसके कई जन्मो
के पाप नष्ट हो जाते है.
जो प्रातः उठकर भक्ति के साथ कपिला गौ को घास की मुट्ठी अर्पण करता
है, उसके एक महीने के पापो का नाश हो जाता है.
है, उसके एक महीने के पापो का नाश हो जाता है.
जो सबेरे शयन से उठकर कपिला गौ की परिक्रमा करता है उसके द्वारा
समूची प्रथ्वी के परिक्रमा हो जाती है.
समूची प्रथ्वी के परिक्रमा हो जाती है.
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