Thursday, 15 December 2016

गाय क्यो है लक्ष्मी...???


देश मे खाद की आपूर्ति के लिए बहुत बड़ी पूंजी लगाकर बड़े-बड़े कारखाने खोले गए।

फिर भी आज बहुत बड़ी मात्रा मे खाद विदेशो से आयात करनी पड़ रही है।

यदि इसकी जगह गोमूत्र का प्रयोग यूरिया खाद के रूप मे किया जाय तो विदेशी मुद्रा भी बचेगी और *ज़हर से भी बचेंगे।

गाय जहा पर खड़ी होती है वहा पर गौमूत्र गिरता है उस जगह की मिट्टी को खेतो मे यूरिया की तरह छीटने से यूरिया खाद का एक बहुत अच्छा और सफल विकल्प है।

कीटनाशक दवाओ से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव से पूरा विश्व चिंतित है।
इसलिए अनेक देशो ने इस पर पावन्दी लगा रखी है परन्तु भारत की सरकार इस पर जरा भी गम्भीर नही है।

गौमूत्र मे बराबर का पानि मिलाकर पेड़ पौधो पर छिड़काव किया जाय तो वहा पर कीड़ो से हिनेवाले नुकसान से बचाव हो सकता है।

भारतीय गाय के मूत्र से घनवटी बनाकर 112 रीगो पर सफल इलाज किया जा चुका है।

कूड़े के ढेर पर गाय जे गोबर को पानी मे घोलकर छिड़काव कर देने से उसकी दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है।

उसमे पलने वाले हानिकारक कीडो की जगह लाभदायक कीड़े उतपन्न हो जाते है और यह कूड़ा कुछ ही दिनों मे सफल खाद बन जाता है।

बंजर भूमि मे गायो को बांधकर उसके कच्चे गोबर गौमूत्र की पर्याप्त मात्रा देने से भूमि का उसरपन बहुत शीघ्र ही ठीक होने लगता है।

गाय के दूध से बनी छाछ किसी भी प्रकार के नसे जैसे

गांजा, भांग, चिलम, तम्बाखू, शराब, हेरोइन, समेक, चरस इत्यादि से होने वाले प्रभाव को ही कम नही करती अपितु इसके नियमित सेवन से नशे की इच्छा ही खत्म होने लगती है।

गौ मूत्र पीने से हजारो रोग स्वीम ही ठीक हो जाते है

ऐसे मे डॉक्टर और हॉस्पिटल मे लाखो रुपये देने से अच्छा है आज ही देशी गाय का पालन करे और पंचगव्य का सेवन करे।

व्रजराज गौशाला एवम् पंचगव्य अनुसन्धान केंद्र रीठी कटनी एम पी

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