Monday, 12 December 2016

कैंसर सहित कई बीमारियों के लिए गौ-मूत्र रामबाण.


हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को ‘मां’ के रूप में पूजा जाता है. जर्मन के एक वैज्ञानिक अनुसार गौ-मूत्र सुबह खाली पेट पीने से कैंसर ठीक हो जाता है.
हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को माता कहा गया है. हिंदू धर्म में यह विश्वास है की गाय प्राकृतिक कृपा की प्रतिनिधि है इसलिए इस की पूजा व रक्षा हर हिंदू का धर्म है.
वैदिक मान्यताओं के अनुसार गाय के शारीर में 33 करोड़ देवता वास करते है इसलिए गौ सेवा करने से सभी 33 करोड़ देवता खुश होते है.
गाय एक शुद्धता सरलता, सौम्यता और सात्विकता की मूर्ति है. गौ माता की पीठ में ब्रह्म, गले में विष्णु तथा मुख में रूद्र निवास करते है. मध्यम भाग में सभी देवगण और रोम-रोम में सभी मह्रिषी  वास करते है श्री कृष्ण को हम गोपाल कृष्ण गोविन्द कहते है अर्थात गौ के पालनहार.
गौ-माता पृथ्वी, ब्रहृामण और देव की प्रतीक है. गौ रक्षा, गौ संवर्धन हिन्दुओं के आवश्यक कर्त्तव्य माने जाते है. सभी प्रकार दान में गौ-दान सर्वोपरि माना जाता है.
गौ माता की सेवा के वैज्ञानिक आधार-औषधीय गुण
1. गौ-माता का दूध अमृत के सामान है. इनके दूध से दूध घी, माखन से मानव शारीर पुष्ट होता है और बूढी तीव्र होती है.
2. गौ-माता के दूध से चुस्ती, स्फूर्ति एवं सकारात्मकता बनी रहती है.
3. गौ-माता का मूत्र पीने से कैंसर एवं टी.बी जैसी भयंकर बिमारियां दूर होती है. पेट से सम्बंधित साड़ी बीमारियां ठीक हो जाती है.
4. हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्ज, रोग एवं शत्रु या किसी समस्या से मुक्ति पाने के लिए गौ माता की सेवा करनी चाहिए.
5. हाथ-पैर एमें जलन हो तो गाय का घी लगाने से तुरंत आराम मिलता है.
6. शराब, गांजा या भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो गौ-माता के शुद्ध घी में दो तोला चीनी मिला कर पिलाने से 15 मिनट में नशा उतर जाएगा.
7. आग से जल जाने पर इन के शुद्ध घी को लगाने से फफोले नहीं पड़ते एवं जलन भी कम हो जाती है.
8. बच्चों को सर्दी कफ हो जाने पर उनकी छाती एवं पीठ पर गाय का घी लगाने से अद्भुत आराम मिलता है.
9. यदि सांप काट ले तो 100 से 150 ग्राम गाय का शुद्ध घी पिला कर 45 मिनट बाद गर्म पानी पिलाने से उलटी दस्त लग जाएंगे. जिससे ज़हर का असर कम हो जाएगा.
वैज्ञानिक महत्व
गाय धरती पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो आक्सीजन ग्रहण करता है. साथ ही आक्सीजन ही छोड़ता है.
गाय के मूत्र में पोटाशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया एवं यूरिक असिड होता है.
दूध देते समय गाय में मूत्र में लाक्टोसे की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगों के लिए लाभकारी है.
गौ माता का दूध फेट रहित परन्तु शक्तिशाली होता है. उसे कितना भी पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग में भी लाभदायक होता है.
गौ माता के गोबर के उपले जलने से मक्खी मछर आदि कीटाणु नहीं होते तथा दुर्गन्ध का भी नाश होता है.
गौ-मूत्र सुबह खाली पेट पीने से कैंसर ठीक हो जाता है. गौ माता के सींगो से उन्हें प्राकर्तिक उर्जा मिलती है. जो गौ माता की रक्षा कवच है.
गौमाता के गोबर में विटामिन बी-12 बहुत मात्रा में है. यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है.
गौ-माता के शारीर पर प्रतिदिन 15-20 मिनट हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी एकदम ठीक हो जाती है.
गौ-माता के शरीर से निकलने वाली सात्विक तरंगे आस-पास के वायुमंडल को प्रदूषणरहित बनती है.
गौ-माता के शारीर से प्राकर्तिक रूप से गूगल की गंध निकलती है.
गौ या उसके बछड़े के रंभाने से निकलने वाली आवाज़ मंदिक विकृतियों तथा रोगों को नष्ट करती है.
इन सभी तथ्यों की जर्मन के कृषि वैज्ञानिक डॉ. जुलिशुस एवं डॉ. बुक ने भी पुष्टि की है.
अमरीकन वैज्ञानिक जेम्स  मार्टिन के अनुसार गाय का गोबर एवं खमीर को समुद्र के पानी के साथ मिला कर ऐसा केमिकल बनाया जो बंजर भूमि को हरा-भरा कर देता है. सूखे तेल के कुए में फिर से तेल आ जाता है.
गौ मॉस खाने वाले सावधान
यूनानी चिकित्सा के अनुसार गाय का मॉस बड़ा सख्त होता है. तथा पचाने में कठिन होता है. इस कारण से खून गाढ़ा हो जाता है. पीलिया तथा कोढ़ जैसी बिमारियां पैदा होती है.
हर मानव का कर्त्तव्य एवं धर्म है की पर्यावरण और मानव जाति के उत्थान एव  कल्याणार्थ गौ-माता की रक्षा करें .

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