Thursday 27 October 2016

*घी क्यो फायदेकारक नही है???*



आजकल लोगो को घी के नाम पर बहुत वेवकूफ बनाया जा रहा है
असली देशी घी के नाम पर भ्रमित है हम सभी

*शुद्ध घी बनाने की वैदिक विधि*
देशी गाय के दूध मे सूर्यास्त के बाद जामन (थोड़ा सा दही) डाला जाता है और अगले दिन सूर्योदय के पहले इस दही को मथकर निकाले गए मक्खन को तपाकर जो घी बनाया जाता है वही अमृत होता है
आजकल यन्त्र से दूध से क्रीम (बटर) निकाला जाता है।

यह वास्तव मे घी नही बटर आयल है।

इसके गुणधर्म बिल्कुल अलग है और यह औषधि के लायक नही है।
आजकल बाजार मे शुद्ध गाय के घी के नाम पर भी बटर आयल ही बिक रहा है।

देशी गाय का घी इससे दुगना और तिगुना महगा है।

और जैसे-जैसे इसका औषधीय महत्व लोगो को पता चलता जायेगा यह और भी महगा होता जायगा।

इसे सस्ता रखने का एक ही उपाय है की गौ रक्षण व गौ संवर्धन किया जाय और उसके गोबर-गौमूत्र का उपयोग किया जाय।

ऐसे घी को नाक मे एक-एक बूद डालने से गले के ऊपर के सभी रोगों पर आराम मिलता है।

*लेटकर नासा छिद्र मे दो-दो बूंद घी डाले।*
5 मिनिट ऐसे ही लेटे रहे। मौन रहे। घी को खींचे नही, सामान्य सास लेते रहे।
घी का तापमान हमेशा शरीर के तापमान से अधिक होना चाहिए।

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