*दन्तमंजन*
*प्रमुख द्रव्य - प्रति 6 किलो*
1) गोबर
5 किलो
2) कपूर।
100 ग्राम
3) अजवायन
सत 100 ग्राम
4) सेंधा
नमक 800 ग्राम
*निर्माण
विधि*
मंजन
पावडर निर्माण के लिए जमीन में 4*4*4
फिट
का गड्ढा तैयार करे।
यह
गड्ढा ईटो से चारो तरफ से बाढ़ दे। इस गड्ढे में बाहर ही जले गोबर के कण्डे डालें।
इन
जले हुए कन्डो पर एक ही तरफ से बाकि कन्डो को डालें। जब कण्डे अच्छी तरह से जलने
लगे तब पूरा गड्ढा भरने के बाद ऊपर से ढक्कन रखकर गोबर तथा मिटटी का मिश्रण कर
ढक्कन तथा जमीन के बीच में यह मिश्रण लगाये।
एक
दिन बाद ढक्कन निकालकर कला, पका
कोयला निकाल ले। इस कोयले को खरल से बारीक कर के छान लें।
कपूर
तथा अजवायन सत का बारीक चूर्ण बॉटल में एकत्र कर द्रावण तैयार करे। नमक में पानी
डालकर पिघलने दे। एक बर्तन में मंजन का उपरोक्त काला पावडर, कपूर
तथा अजवायन सत का द्रावण अच्छी तरह से मिला दे। इस मिश्रण में नमक का पानी डालकर
पुनः अच्छी प्रकार सभी को मिला ले।
अच्छी
तरह से मिश्रित उपरोक्त मिश्रण शीशियों में भर ले।
*टीप
- तैयार होने के 8 दिन
बाद ही प्रयोग में लाये।*
*निम्न
व्याधियो में उपयोगी*
1) दातो
के विकार जैसे क्रमि दन्त (dental
caries)
2) पायरिया
3) मुख
दुर्गन्ध (removes bad
odour)
4) मुख
रोग (oral disorders, oral submucous
fibrosis)
5) सेंसिविटी
6)नियमित
प्रयोग से मसूड़ो से खून आना बंद होता है।
7) मसूड़े
स्वस्थ व् मजबूत होते है।
जय गौमाता ,,,बहुत ही स्वस्घ्यवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद,,,
ReplyDeleteमुझे ये जानकारी चाहिए कि,
क्या देशी गौ के गौमूत्र को संरहित करके रोज आवश्यकता अनुसार ग्रहण कर सकते है,,
मतलब गौमूत्र खराब तो नही होगा न ?