Saturday 8 June 2013

गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम का कड़ाई से पालन कर

गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम का कड़ाई से पालन कर

नियमों के अनुसार हो पशुओं का परिवहन

katni
म.प्र. में गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 के अंतर्गत गौवंश के वध पर पूर्णत: प्रतिबंध है। इसके बाद भी जिले में हत्या के उद्देश्य से अवैध रूप से गौवंश के परिवहन की घटनायें लगातार हो रही है। जिसके कारण जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती है और जनता में आक्रोश भी बढ़ता है। 

 कोई भी व्यक्ति जिसमें परिवाहक भी शमिल है, जो एक राज्य से अन्य राज्य को म.प्र. होते हुए गौवंश का किसी भी माध्यम से परिवहन करना चाहता है, निर्धारित प्रारूप में प्रत्येक पशु के लिए अलग-अलग स्वास्थ्य प्रमाण पत्र पशु चिकित्सक से प्राप्त कर निर्धारित प्रारूप में परिवहन अनुज्ञा के लिए 100 रु. प्रति फेरा के शुल्क के साथ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन प्रस्तुत करेगा।

म.प्र. में गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को गौवंश परिवहन के लिए अनुज्ञा पत्र जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी नियुक्त किया गया है। गौवंश परिवहन के लिए दिये गये आवेदन के ब्यौरे के सत्यापन के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जांच के उपरांत समाधान होने पर आवेदन प्राप्ति की तिथि से दो सप्ताह के भीतर गौवंश परिवहन का अनुज्ञा पत्र जारी करेंगें या आवेदन को नामंजूर करने के कारणों को दर्शाते हुए आदेश पारित कर स्वयं के हस्तलेखन में शासकीय रजिस्टर में संबंधित जानकारी प्रविष्ट करेंगें। 

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जारी अनुज्ञा पत्र के पीछे पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अंतर्गत पशु परिवहन नियम 1978 एवं पशुओं का पैदल परिवहन नियम 2001 एवं अन्य संबंधित नियमों के उपबंधों का उल्लेख किया जायेगा और पशु परिवहन की अनुज्ञा धारक को उसका पालन करना होगा।

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अपने क्षेत्राधिकार अंतर्गत आने वाले पशु बाजारों पर पशु चिकित्सक, राजस्व अमले एवं संबंधित नगरपालिका/ग्राम पंचायत के अमले के माध्यम से नियंत्रण करेंगें। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अपने क्षेत्र के प्रत्येक पशु बाजार के लिए नामजद पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ/पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी की डयूटी लगायेंगें। ऐसे पशु चिकित्सा शल्यज्ञ बाजार के दिन बाजार स्थल पर निर्धारित स्थान पर बेठेंगें। पशु चिकित्सा शल्यज्ञ बाजार में क्रय-विक्रय की प्रक्रिया के दौरान या पश्चात परिवहन से पूर्व क्रय किये गये पशुओं का परीक्षण करेंगें एवं वे कृषि कार्य के लिए उपयोगी है या नहीं इसका प्रमाण पत्र निर्धारित प्रारूप में अपने हस्ताक्षर एवं सील सहित जारी करेंगें। 

पैदल मार्ग से परिवहन करते समय गौवंश का प्रत्येक झुंड 25 से अधिक का नहीं होगा। यदि परिवहन करने वाला कृषक है तो उसके पास ऋण पुस्तिका एवं पशु बाजार की विक्रय रसीद होना आवश्यक होगा तथा ऋण पुस्तिका में विक्रेता द्वारा संबंधित जानकारी प्रविष्ट की जायेगी। पशु परिवहन करने वाले को पशु चिकित्सक का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी साथ में अनिवार्य रूप से रखना होगा। संबंध्द कृषक एक समय में 4 से अधिक गौवंश का परिवहन नहीं कर सकेगा। गौवंश का राज्य के भीतर परिवहन पशुओं का परिवहन नियम 1978 एवं पशुओं का पैदल परिवहन नियम 2011 के अंतर्गत किया जायेगा। जिसमें प्रत्येक पशु के लिए निर्धारित प्रारूप में पशु चिकित्सक का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र पशु परिवहक के साथ होना अनिवार्य होगा। 

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