गाय से शरीर से जो सात्विक उर्जा निकलती है, उस घर या इलाके में गाय होने से बहुत साड़ी अशुभ चीजें दूर हो जाती हैं l गाय के शरीर में सुर्यकेतु नाड़ी होती है, जो सूर्य किरणों को पीती है, इसलिए गाये के गोबर व मूत्र में भी सात्विक पॉवर होता है l मरते समय भी गाय के गोबर का लीपन करके व्यक्ति को सुलाया जाता है l
कैसी भी जहरी दवाएं खायी हो, गौमूत्र थोड़े दिन पिये, Blockage खुल जायेगा और जहरी दवाओं का असर उतर जायेगा l
बच्चों को गाय की पूंछ का झाड़ा देने से ऊपर की आई हुई हवा या कुप्रभाव नाश होता है l
जिसको रात को ठीक से नींद न आती हो, वो मोर के पंख रख दे, सिरहाने के नीचे और "हरि ॐ" का गुंजन करे , नींद आने लगेगी l
जिसको बुरे स्वप्न आते हों वो बुरे स्वप्न न आयें इसका आग्रह छोड़ दें l पैरों को गाय का घी मल दें और सिर में थोड़ा हलकी मालिश कर दें किसी भी तेल की l
गाए के दूध से बनी दही शरीर पर रगड़कर स्नान करने से स्वास्थ्य, प्रसन्नता और दरिद्रता दूर हो जाती है l
चावल पानी में पका लें फिर गाय के दूध में डालकर खीर बना लें, ज्यादा मीठा और मेवा न डालें और फिर "ॐ" का १२० माला जप करें l ७ सप्ताह तक करें तो ७ जनम की दरिद्रता दूर हो जाती है और ७ जनम तक कुटुंब में दरिद्रता नहीं आती l
जिस रोग के लिए डॉक्टर ने मना कर दिया हो की ये रोग ठीक नहीं हो सकता, वो व्यक्ति घर में गाय पालें और चारा-पानी खुद खिलाये और स्नेह करें l गाय की प्रसन्नता उसके रोमकूपों से प्रकट होगी और आप अपने हाथ गाय की पीठ पर घुमाएंगे तो आपके हाथों की उँगलियों द्वारा वो प्रसन्नता, रोग प्रतिकारक शक्ति बढाएगी l २-४ महीने तक ऐसा करें l
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काली गाय का घी बुढापे में भी जवानी ले आता है l हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाहट खाने की मनाही है तो गाए का घी खाएं, हार्ट मज़बूत बनता है l
11 फरवरी को भीष्मा अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन गाय दान का महत्व बहुत है। आज के दिन गाय का पूजन करके उनके संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जिस घर में गौ-पालन किया जाता है उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गौमाता ही दिलाती है। मरने से पहले गाय की पूँछ छूते हैं ताकि जीवन में किए गए पाप से मुक्ति मिले।
लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना नहीं बची।
गौ माता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती है।
रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी। इसलिए गौ दर्शन सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।
गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ माँगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। इसकी बड़ी महिमा सूरदास और तुलसीदास ने गौ कथा का वर्णन किया है।
लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम की भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेंगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं।
लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना नहीं बची।
गौ माता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती है।
रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी। इसलिए गौ दर्शन सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।
गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ माँगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। इसकी बड़ी महिमा सूरदास और तुलसीदास ने गौ कथा का वर्णन किया है।
लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम की भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेंगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं।
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