Friday 9 November 2012

जैविक खेती से होने वाले लाभ

  1. कृषकों की दृष्टि से लाभ -
    भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृध्दि हो जाती है।
    सिंचाई अंतराल में वृध्दि होती है ।
    रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है।
    फसलों की उत्पादकता में वृध्दि।
  2. मिट्टी की दृष्टि से -
    जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
    भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं।
    भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा।
  3. पर्यावरण की दृष्टि से -
    भूमि के जल स्तर में वृध्दि होती हैं।
    मिट्टी खाद पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है।
    कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है ।
    फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृध्दि
    अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ताा का खरा उतरना।


    जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है । जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं। जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है । मानव जीवन के सवर्ांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुध्द वातावरण रहे एवं पौष्टिक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पध्दतियाँ को अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी।

    जैविक खादें:-
    1. नाडेप
    2. बायोगैस स्लरी
    3. वर्मी कम्पोस्ट
    4. हरी खाद
    5. जैव उर्वरक (कल्चर)
    6. गोबर की खाद
    7. नाडेप फास्फो कम्पोस्ट
    8. पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि)
    9. मुर्गी का खाद

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