पशु वध करने की विधि
कत्लगाह में एक हजार पशु रह सके ऐसे मौत के कुए बने हुए है. वहा चार दिनों तक बिना चारे पानी के पशुओ को रखा जाता है. इसके बाद पशु अशक्त होकर गिर जाता है. फिर पशु को घसीटकर मशीनों के पास ले जाया जाता है. उसे पीट पीटकर खड़ा किया जाता है.
फिर २०० डिग्री सेंटीग्रेट का गरम पानी पांच मिनट तक गिराया जाता है. मशीन की पुल्ली पिछले पैर को ऊपर उठाती है. पशु एक पैर पर उल्टा लटका दिया जाता है. फिर पशु की आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर आ जाये. और पशु मरे नहीं. खून की धाराए बह निकलती है. तत्काल पशु के पेट में एक छेद कर हवा भरी जाती है जिससे पशु फूल जाता है..और चमड़ा उतारने का कार्य होता है. पशु अभी मरा नहीं है मरने से पशु का चमड़ा मोटा हो जाता है . अतः उसकी कीमत घट जाती है. जीवित पशु का चमड़ा पतला और कोमल होने से अधिक मूल्य का होता है. चमड़ा उतारते ही पशु के चार टुकड़े किये जाते है - गर्दन, पैर, धड और हड्डिया
फिर मांस के डिब्बे बनकर कारखाने से बाहर आने प्रारंभ हो जाते है. बछड़ो का मांस तथा चमड़ा ज्यादा कीमती होता है.
गर्भवती पशु अधिक लाभदायक होते है कसाईयो के लिए.
अमेरिकन मांस की तुलना में भारतीय गोवंश का मांस दुगनी कीमत पर बिकता है,
इस तरह से गाय माता पर अत्याचार किया जाता है
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