गोबर का पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण भाग है ।
गोबर के जलन से वातावरण का तापमान संतुलित होता है और वायु के कीटाणुओं का नाश ।
गोबर में विष, विकिरण और उष्मा के प्रतिरोध की क्षमता होती है । जब हम दीवारों पर गोबर पोतते हैं और फर्श को गोबर से साफ करते हैं तो रहनेवालों की रक्षा होती है । १९८४ में भोपाल में गैस लीक से २०,००० से अधिक लोग मरे । गोबर पुती दीवारों वाले घरों में रहने वालों पर असर नहीं हुआ । रूस और भारत के आणविक शक्ति केंद्रों में विकीरण के बचाव हेतु आज भी गोबर प्रयुक्त होता है ।
गोबर से अफ्रीकी मरूभूमि को उपजाऊ बनाया गया ।
गोबर के प्रयोग द्वारा हम पानी में तेजाब की मात्रा घटा सकते हैं ।
जब हम संस्कार कर्मों में घी का प्रयोग करते है तो ओजोन की परत मजबूत होती है और पृथ्वी हानिकारक सौर विकिरण से बचती है ।
बढ़ते हुए कल्लगाहों और भूकंपों के बीच का संबंध प्रमाणित होता जा रहा है ।
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